
डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जीवन परिचय
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) भारत के महान समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता थे। उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और भारतीय समाज में समानता की नींव रखी।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
- जन्म तिथि: 14 अप्रैल, 1891
- जन्म स्थान: महू, मध्य प्रदेश (तब मध्य भारत प्रांत)
- परिवार: रामजी मालोजी सकपाल (पिता) और भीमाबाई (माता)
- जाति: महार (दलित समुदाय)
शिक्षा और डिग्री
डॉ. अंबेडकर ने कठिनाइयों के बावजूद उच्च शिक्षा प्राप्त की:
- बैचलर ऑफ आर्ट्स (B.A.) – मुंबई विश्वविद्यालय (1912)
- मास्टर ऑफ आर्ट्स (M.A.) – कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका (1915)
- पीएच.डी. (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) – कोलंबिया विश्वविद्यालय (1916)
- बैरिस्टर-एट-लॉ – लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (1923)
- डी.एससी. (डॉक्टर ऑफ साइंस) – लंदन विश्वविद्यालय (1923)
मृत्यु
- मृत्यु तिथि: 6 दिसंबर, 1956 (दिल्ली)
- समाधि स्थल: चैत्यभूमि, मुंबई
डॉ. अंबेडकर की प्रमुख उपलब्धियाँ
1. भारतीय संविधान के निर्माता
डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूप समिति (Drafting Committee) का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने देश के लिए एक लोकतांत्रिक, समानता-आधारित संविधान तैयार किया, जिसमें मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय जैसे प्रावधान शामिल हैं।
2. दलित अधिकारों के लिए संघर्ष
- 1927: महाड़ सत्याग्रह – सार्वजनिक जलस्रोतों पर दलितों के अधिकार की माँग
- 1930: कालाराम मंदिर सत्याग्रह – धार्मिक भेदभाव के खिलाफ आंदोलन
- हिंदू कोड बिल: महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने वाला कानून
3. भारत के पहले कानून मंत्री
- पद: स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री (1947-1951)
- योगदान: संविधान लागू करने और कानूनी सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका
4. बौद्ध धर्म अपनाया
- 1956 में: नागपुर में लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया
- कारण: हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था से मुक्ति
डॉ. अंबेडकर का भारतीय संविधान में योगदान
- मौलिक अधिकार: समानता, स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता का प्रावधान
- राज्य के नीति निदेशक तत्व: सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना
- अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण: समाज के पिछड़े वर्गों को अवसर प्रदान करना
- महिला अधिकार: हिंदू कोड बिल के माध्यम से संपत्ति और विवाह कानूनों में सुधार
डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने सामाजिक न्याय, शिक्षा और संवैधानिक लोकतंत्र की नींव रखी। उनके संघर्ष और विचार आज भी दलितों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों के लिए प्रेरणा हैं। उन्हें “भारतीय संविधान का पिता” कहा जाता है और उनकी विरासत को 14 अप्रैल (अंबेडकर जयंती) पर पूरा देश याद करता है।