
ऑपरेशन सिंदूर के हीरो अग्निवीरों की स्थायी भर्ती की रेस शुरू – जानिए कैसे हो रहा है तीसरा मूल्यांकन
भारतीय सेना ने अग्निवीरों की स्थायी भर्ती के लिए तीसरे चरण का मूल्यांकन शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया उन अग्निवीरों के लिए है जिन्हें जनवरी 2023 में अग्निपथ योजना के तहत सेना में शामिल किया गया था। खास बात यह है कि ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लेने वाले करीब 3,000 अग्निवीर भी इस चरण में मूल्यांकन से गुजर रहे हैं।
इन अग्निवीरों ने सीमापार मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में भारत की एयर डिफेंस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए उनके प्रदर्शन को अब स्थायी भर्ती के आकलन में शामिल किया जा रहा है। यह तीसरा चरण चार महत्वपूर्ण मूल्यांकन में से एक है जिसे हर अग्निवीर को अपनी सेवा के दौरान पार करना होता है।
कब-कब होता है मूल्यांकन?
अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों का मूल्यांकन कुल चार चरणों में होता है – 31 हफ्ते, 18 महीने, 30 महीने और 42 महीने की सेवा पूरी होने पर। फिलहाल जो तीसरा मूल्यांकन हो रहा है, उसमें अग्निवीरों की फिजिकल फिटनेस, हथियारों की हैंडलिंग, और ट्रेनिंग ड्रिल्स जैसी क्षमताएं परखी जा रही हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि अग्निवीर का मूल्यांकन उसी यूनिट द्वारा नहीं किया जाता जहां वह तैनात है, जिससे निष्पक्षता बनी रहे।
कैसे होता है मूल्यांकन?
पहले मूल्यांकन में हर अग्निवीर को तीन मौके मिलते हैं और सबसे अधिक अंक वाली कोशिश को गिना जाता है। बाकी मूल्यांकन में उन्हें दो मौके मिलते हैं। सभी अग्निवीरों को उनकी मार्कशीट भी दी जाती है ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
जो अग्निवीर सियाचिन, लद्दाख जैसी दुर्गम और ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात हैं, उन्हें टेस्ट के लिए पास की कॉर्प्स बैटल स्कूल्स या बैक यूनिट्स में भेजा जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर में कैसे चमके अग्निवीर?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन युवा सैनिकों ने अग्रिम पंक्ति में रहकर भारत की वायु रक्षा प्रणाली का संचालन किया। उन्होंने Pechora, Schilka, OSA-AK, Strela और Tunguska जैसे एडवांस सिस्टम्स के साथ-साथ मीडियम रेंज मिसाइल सिस्टम्स को भी संभाला।
कई अग्निवीर गनर्स, फायर कंट्रोल ऑपरेटर्स, कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट और मिसाइल लांच वाहनों के ड्राइवर के रूप में सक्रिय रहे। एयर डिफेंस नेटवर्क ‘आकाशतीर’ को भी इन्होंने ही ऑपरेट किया था।
बहादुरी और खेल प्रतिभा को मिलेगा इनाम
अग्निपथ योजना के तहत जिन अग्निवीरों को सेना मेडल, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र या शौर्य चक्र जैसे वीरता पुरस्कार मिले हैं, उन्हें स्थायी भर्ती की गारंटी दी गई है। ‘मेंटशन इन डिस्पैच’ मिलने पर 25 बोनस अंक दिए जाते हैं।
खेलों में उत्कृष्टता भी उतनी ही अहम मानी जाएगी –
- भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले अग्निवीरों को सीधी स्थायी भर्ती
- राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने पर 10 बोनस अंक
- सेवा स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पर 6 बोनस अंक मिलेंगे।
अंतिम चयन कब और कैसे होगा?
सभी मूल्यांकन अंकों को अक्टूबर 2026 तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। पहली अग्निवीर बैच जनवरी 2027 में अपनी चार साल की सेवा पूरी करेगी। इसके बाद अंतिम मेडिकल टेस्ट लिया जाएगा और मेरिट के आधार पर 25% अग्निवीरों को स्थायी रूप से सेना में शामिल किया जाएगा।
चयनित उम्मीदवारों को उनके रिलीव होने के 7 दिनों के भीतर सूचित किया जाएगा। उन्हें 30 दिनों के अंदर अपने रेजिमेंटल सेंटर में रिपोर्ट करनी होगी, अन्यथा उनकी सीट अगली मेरिट लिस्ट वाले को दे दी जाएगी।
पेंशन नहीं, सिर्फ स्थायी भर्ती पर मिलेगा लाभ
प्री-अग्निपथ सिस्टम की तरह 15 साल की सेवा और पेंशन की गारंटी अब नहीं है। सिर्फ वे ही अग्निवीर जिन्हें स्थायी तौर पर सेना में लिया जाएगा, उन्हें 15 साल की सेवा और पेंशन जैसी सुविधाएं मिलेंगी। स्थायी भर्ती ‘आर्म’, ‘सर्विस’ और ‘ट्रेड’ के आधार पर अलग-अलग मेरिट लिस्ट के जरिए की जाएगी।
(by harjeet singh)