
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को दहलाने की साजिश रच रहे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े जासूसी गिरोह का पर्दाफाश हो गया है। खुफिया एजेंसियों ने तीन महीने लंबे गुप्त ऑपरेशन के बाद एक अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क को बेनकाब किया है, जिससे भारत पर संभावित आतंकी हमले को समय रहते विफल कर दिया गया।
तीन महीने चला ऑपरेशन, दो जासूस गिरफ्तार
सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन जनवरी 2025 में एक गुप्त सूचना से शुरू हुआ था, जिसमें दावा किया गया था कि ISI ने एक जासूस को नेपाल के रास्ते भारत भेजा है। खुफिया एजेंसियों ने तुरंत हरकत में आते हुए संदिग्ध की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू की। फरवरी के मध्य तक एजेंसियों को पुख्ता जानकारी मिल गई कि यह एजेंट दिल्ली पहुंच चुका है और उसने भारतीय सशस्त्र बलों से संबंधित गोपनीय दस्तावेज एकत्र कर लिए हैं।
15 फरवरी को ऑपरेशन के तहत जाल बिछाकर अंसारुल मियां अंसारी नामक एजेंट को मध्य दिल्ली से गिरफ्तार किया गया, जब वह नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भागने की कोशिश कर रहा था। उसके पास से संवेदनशील दस्तावेज और डिजिटल डेटा बरामद किया गया। जांच में पता चला कि वह पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था और सशस्त्र बलों से जुड़ी अहम जानकारियां ISI को भेज रहा था।
पाक उच्चायोग के अधिकारियों पर भी संदेह
जांच में यह भी सामने आया है कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है। सूत्रों के मुताबिक ISI अधिकारी मुज़म्मिल और एहसान-उर-रहीम उर्फ़ ‘दानिश’ भारतीय यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के संपर्क में थे, जिनके जरिए वे भारत में दुष्प्रचार और नेटवर्किंग के जरिये आतंकी नेटवर्क को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे थे।
जासूसी में माहिर निकला अंसारी, रावलपिंडी में ली ट्रेनिंग
पूछताछ में अंसारी ने बताया कि वह मूल रूप से नेपाल का निवासी है लेकिन 2008 से कतर में टैक्सी चालक के रूप में कार्यरत था। वहीं उसकी मुलाकात एक ISI एजेंट से हुई जिसने पहले उसे पैसे का लालच दिया और फिर कट्टरपंथ के जरिये ब्रेनवॉश किया। जून 2024 में वह पाकिस्तान के रावलपिंडी गया, जहां उसकी मुलाकात पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से करवाई गई।
उसे बाबरी मस्जिद विध्वंस, CAA-NRC और अन्य संवेदनशील मुद्दों के जरिए भारत विरोधी विचारधारा से प्रभावित किया गया और फिर जासूसी की बाकायदा ट्रेनिंग दी गई। दिल्ली लौटने पर उसे भारतीय सशस्त्र बलों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने का कार्य सौंपा गया।
रांची का अखलाक़ आज़म भी गिरफ्तार
जांच में अंसारी के साथ भारत में काम कर रहे एक अन्य सहयोगी अखलाक़ आज़म का नाम भी सामने आया, जो रांची का निवासी है। वह अंसारी को लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान कर रहा था और दोनों लगातार पाकिस्तान में अपने आकाओं के संपर्क में थे। मार्च 2025 में अखलाक़ आज़म को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
उनके मोबाइल और अन्य डिजिटल उपकरणों की फॉरेंसिक जांच में ISI के साथ संदिग्ध संवाद और साजिश की पुष्टि हुई। दोनों के खिलाफ अब आधिकारिक राज अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
चार्जशीट दाखिल, कोर्ट में सुनवाई जल्द
जांच एजेंसियों ने हाल ही में अदालत में दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। अदालत ने चार्जशीट का संज्ञान ले लिया है और मुकदमे की कार्यवाही जल्द शुरू होने की संभावना है। दोनों आरोपियों को फिलहाल तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी विंग में रखा गया है, जहां उन पर विशेष निगरानी रखी जा रही है ताकि वे जेल में किसी को कट्टरपंथी न बना सकें।
ISI के नेटवर्क पर गहरी नजर
सूत्रों का कहना है कि एजेंसियां देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों और उनके स्लीपर सेल्स की पहचान में जुटी हैं। हाल ही में पंजाब में पुलिस ठिकानों पर हुए बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) द्वारा किए गए ग्रेनेड हमलों के बाद से खुफिया एजेंसियों को उत्तर-पश्चिम भारत में एक बड़े आतंकी नेटवर्क की आशंका है।
“कमान हमारे हाथ में रहनी चाहिए” – वरिष्ठ अधिकारी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह एक बिल्ली और चूहे का खेल है, लेकिन हमारी कोशिश है कि कमान हमेशा हमारे हाथ में रहे। देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और हम किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।”