
“30 अप्रैल 2025 को इस्लामाबाद और लाहौर — भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान में चिनाब नदी में पानी का बहाव तेजी से कम हो गया है। जल विभाग के अनुसार, पिछले 48 घंटों में चिनाब नदी का जल स्तर सामान्य से 35% कम हो गया है।
जानकारों का मानना है कि पानी की यह कमी भारत के उस कदम से जुड़ी हो सकती है, जिसमें उसने 1960 की सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से रोक दिया है। भारत का कहना है कि उसने यह कदम अपने “राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा” के लिए उठाया है।
पाकिस्तान के जल और ऊर्जा मंत्री ने एक आपात बैठक में बताया कि “चिनाब और झेलम जैसी नदियों पर निर्भर हमारी खेती और बिजली परियोजनाएं खतरे में हैं।” उन्होंने दुनिया से इस मामले में दखल देने की अपील की है।
इस संधि के मुताबिक भारत को व्यास, रावी और सतलुज नदियों का पानी मिलता है, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब का। इसे अब तक दुनिया की सबसे सफल जल संधियों में माना जाता रहा है।
इस घटना से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ा है और पाकिस्तान की खेती और बिजली की जरूरतों पर भी असर पड़ा है। खासकर पंजाब और सिंध प्रांत में सिंचाई के लिए पानी की कमी देखी जा रही है।
जल विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर पानी की कमी ऐसे ही रही तो बिजली बनाना और गर्मियों की फसलें उगाना मुश्किल हो जाएगा।