
भारतीय राष्ट्रीय गान – यह शब्द सुनते ही मन में सम्मान, गरिमा, और गर्व आ जाना और दिल खुश हो जाना स्वाभाविक है। भारतीय राष्ट्रीय गान न केवल गौरवशाली होती है बल्कि इसके इतिहास भी आपको चौंका सकते हैं। इस लेख में हम आपको भारतीय राष्ट्रीय गान के इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे।
भारतीय राष्ट्रीय गान का इतिहास
“वन्दे मातरम्” को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 में लिखा था और यह कविता उनकी रचना “आनंदमठ” से ली गई है। यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्ति की भावना को जागृत करने का एक शक्तिशाली माध्यम बनी।
हालांकि, जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, तब “वन्दे मातरम्” और “जन गण मन” दोनों ही गानों को राष्ट्रीय गान के रूप में प्रस्तावित किया गया था। अंततः “जन गण मन” को भारतीय राष्ट्रीय गान के रूप में चुना गया।
“जन गण मन” का महत्व
“जन गण मन” को रवींद्रनाथ ठाकुर ने 1911 में लिखा था। यह गान भारत के विविध लोगों की एकता का प्रतीक है। इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और संस्कृतियों के मेल की भावना को दर्शाया गया है।
“जन गण मन” के बोल इस प्रकार हैं:
“जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता।
पंजाब सिंध गुजरात मराठा, द्रविड़ उत्कल बंग।
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे, भारत भाग्य विधाता।”
भारतीय राष्ट्रीय गान के पीछे की प्रेरणा
यह गान भारतीय जनता के बीच एकता, समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए लिखा गया था। यह देश के सभी नागरिकों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।
राष्ट्रीय गान का प्रोटोकॉल और महत्व
भारत में राष्ट्रीय गान को विशेष सम्मान दिया जाता है। इसे आधिकारिक कार्यक्रमों, समारोहों, खेल आयोजनों और राष्ट्रीय उत्सवों के दौरान बजाया जाता है।
- राष्ट्रीय गान के दौरान खड़े रहना: जब भी राष्ट्रीय गान बजाया जाता है, तो सभी नागरिकों को खड़ा रहकर सम्मान प्रकट करना चाहिए।
- गान के दौरान कोई अन्य गतिविधि न करें: गान के समय किसी भी प्रकार की बातचीत, हाथ मिलाना या अन्य गतिविधियों से बचें।
राष्ट्रीय गान का वैश्विक महत्व
भारतीय राष्ट्रीय गान ने वैश्विक स्तर पर भी अपने प्रभाव को साबित किया है। इसे अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों और राजनयिक समारोहों में भी गर्व के साथ बजाया जाता है।
रोचक तथ्य
- “जन गण मन” को 1950 में भारत के राष्ट्रीय गान के रूप में अपनाया गया था।
- रवींद्रनाथ ठाकुर ने इस गान को 1911 में कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार गाया था।
- यह गान 52 सेकंड लंबा है, लेकिन इसके बोल और धुन दिल को छू जाती है।
भारतीय राष्ट्रीय गान केवल एक संगीत नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा, उसकी संस्कृति और उसके नागरिकों की भावना का प्रतीक है। यह गान हर भारतीय को अपने देश पर गर्व महसूस कराता है और हमें एकता और भाईचारे के महत्व की याद दिलाता है।