
पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने रविवार को कहा कि इस्लाम केवल एक व्यक्तिगत आस्था नहीं है, बल्कि यह सेना के आधिकारिक प्रशिक्षण और अभियानों का भी हिस्सा है। उन्होंने यह बयान उस सवाल के जवाब में दिया, जिसमें पूछा गया था कि क्या भारतीय ठिकानों पर सुबह-सुबह किए गए हमले और सैन्य अभियानों के नाम इस्लामी शिक्षाओं से प्रभावित होते हैं।
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (DG-ISPR) के महानिदेशक जनरल शरीफ ने एक प्रेस वार्ता में कहा, “इस्लाम न केवल हममें से हर एक की आस्था का हिस्सा है, बल्कि यह हमारे प्रशिक्षण का भी हिस्सा है। यह हमारे विश्वास का केंद्र है और यही हमें प्रेरित करता है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे पास एक ऐसे सेना प्रमुख हैं जिनकी इस पर गहरी आस्था है। नेतृत्व की यह आस्था और प्रतिबद्धता विभिन्न अभियानों में झलकती है।”
टिप्पणी पर विवाद – सेना और आतंकी संगठनों की सीमाएं धुंधली
यह टिप्पणी विवादास्पद बन गई क्योंकि यह राज्य की सेना और लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद जैसे गैर-राज्य आतंकी संगठनों के बीच की रेखा को धुंधला करती प्रतीत हुई। ये संगठन लंबे समय से जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में नागरिकों और भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर हमले करते रहे हैं।
प्रवक्ता के चरमपंथी संबंधों का खुलासा
लेफ्टिनेंट जनरल शरीफ हाल ही में अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर भी चर्चा में आए हैं। सोशल मीडिया पर यह सामने आया है कि उनके पिता महमूद सुल्तान बशीरुद्दीन, जो पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमिशन में वैज्ञानिक थे, का संबंध चरमपंथी नेटवर्कों से रहा है और कथित तौर पर उनके ओसामा बिन लादेन से भी संबंध थे।
भारत ने दी सख्त चेतावनी – उल्लंघन पर करारा जवाब
इन घटनाओं के बाद भारत ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वायु संचालन के महानिदेशक एयर मार्शल ए. के. भारती ने कहा कि अगर सीमा पर शांति बनाए रखने के समझौते का कोई उल्लंघन हुआ, तो भारत उसकी पूरी गंभीरता से प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने साफ कहा, “हर उल्लंघन का करारा जवाब दिया जाएगा।”