
AI 171 विमान हादसा: सिर्फ एक सेकंड की चूक और भारत की चार दशकों की सबसे बड़ी एयरलाइन त्रासदी! पायलटों की अंतिम बातचीत और फ्यूल स्विच रहस्य
12 जून 2025 की सुबह देश के लिए बेहद काली साबित हुई, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 ने उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त होकर भारतीय विमानन इतिहास की सबसे गंभीर घटनाओं में अपना नाम दर्ज कर लिया। इस हादसे ने चार दशकों के भीतर किसी भारतीय एयरलाइन की सबसे भीषण त्रासदी का दर्जा हासिल किया। अब इस घटना की शुरुआती जांच रिपोर्ट सामने आई है, जिसने इस भयावह हादसे की कुछ चौंकाने वाली और बेहद तकनीकी लेकिन जरूरी बातें उजागर की हैं।
क्या हुआ था उड़ान के चंद सेकंडों में?
रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही बोइंग 787-8 विमान ने रनवे से उड़ान भरी, उसके दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच महज एक सेकंड के अंदर ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ पोजीशन में शिफ्ट हो गए। इसका मतलब यह है कि दोनों इंजनों में अचानक फ्यूल सप्लाई रुक गई, जिससे विमान का थ्रस्ट यानी ताकत खत्म हो गई और वह क्रैश हो गया। हादसे के तुरंत बाद एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने एक 15-पृष्ठों की प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें घटना के संभावित कारणों की स्पष्ट झलक दी गई है।
कौन थे पायलट और क्या थी उनकी स्थिति?
इस फ्लाइट के फ्लाइंग पायलट थे को-पायलट क्लाइव कुंदर, जबकि कप्तान सुमीत सभरवाल ने इस उड़ान के दौरान पायलट मॉनिटर की भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पायलटों ने उड़ान से पहले पर्याप्त विश्राम लिया था और सुबह एयरपोर्ट पर ब्रेथ एनालाइज़र टेस्ट भी पास किया था। विमान के सभी मेंटेनेंस चेक भी तय समय पर पूरे किए गए थे। टेकऑफ सामान्य तरीके से हुआ और विमान लगभग 400 फीट की ऊँचाई तक पहुंच गया था। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह असामान्य और विनाशकारी था।
फ्यूल कंट्रोल स्विच – हादसे का केंद्रबिंदु
इस विमान के दो इंजन थे और दोनों के लिए अलग-अलग फ्यूल कंट्रोल स्विच थे। इन स्विचों का इस्तेमाल आमतौर पर केवल तब किया जाता है जब विमान जमीन पर होता है—या तो टेकऑफ से पहले इंजन स्टार्ट करने के लिए या लैंडिंग के बाद बंद करने के लिए। फ्लाइट के दौरान इनका उपयोग तभी होता है जब इंजन फेल हो जाए या उसमें इतनी गंभीर खराबी आ जाए कि फ्यूल सप्लाई बंद करनी पड़े।
लेकिन इस केस में, दोनों स्विच उड़ान भरते ही अचानक ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ में चले गए। सबसे अहम बात यह है कि ये स्विच स्प्रिंग-लोडेड होते हैं और इनके दोनों ओर सेफ्टी ब्रैकेट्स लगे होते हैं ताकि इन्हें गलती से कोई टच न कर पाए। साथ ही, इन्हें शिफ्ट करने से पहले ‘लिफ्ट एंड मूव’ स्टाइल की लॉकिंग मैकेनिज्म होती है। यानी कि इनका अनजाने में मूव होना लगभग नामुमकिन है।
कॉकपिट की रिकॉर्डिंग से मिला एक महत्वपूर्ण संवाद
AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक पायलट दूसरे से पूछता है, “तुमने फ्यूल क्यों कट किया?” इस पर दूसरा पायलट जवाब देता है, “मैंने नहीं किया।” हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह संवाद किस पायलट के बीच हुआ और इसके आगे कोई बातचीत रिकॉर्ड नहीं की गई। यह संवाद हादसे के रहस्य को और गहरा बना देता है।
स्विच वापस RUN में, लेकिन देर हो चुकी थी
जब विमान के दोनों इंजन बंद हो गए, तब कुछ सेकंड बाद दोनों फ्यूल स्विच दोबारा ‘RUN’ पोजीशन में शिफ्ट कर दिए गए। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पायलटों ने इंजन थ्रस्ट को फिर से बहाल करने की कोशिश की। लेकिन उस समय विमान की ऊँचाई बहुत कम थी, जिससे इंजन के रिकवर होने से पहले ही वह हादसे का शिकार हो गया।
क्या पहले भी इस तरह की समस्या रही है?
रिपोर्ट में उल्लेख है कि अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने 2018 में एक विशेष सूचना बुलेटिन (SAIB) जारी किया था, जिसमें बोइंग 737 के फ्यूल स्विच के लॉकिंग फीचर के संभावित विफल होने की चेतावनी दी गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि बोइंग 787 में भी वही मॉड्यूल इस्तेमाल होता है। लेकिन चूंकि यह नोटिस एडवाइजरी थी, इसलिए एयर इंडिया ने इसका पालन नहीं किया।
हालांकि रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि AI 171 के मामले में जिस थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल में यह स्विच होते हैं, उसे 2019 और 2023 में बदला गया था, लेकिन इसका फ्यूल स्विच से कोई संबंध नहीं पाया गया। 2023 से अब तक किसी भी फ्यूल स्विच से संबंधित खराबी की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी।
आपातकालीन पावर सिस्टम – RAT और APU की भूमिका
जैसे ही दोनों इंजन बंद हुए, विमान की ‘राम एयर टरबाइन’ (RAT) सक्रिय हो गई और ‘ऑक्सिलियरी पावर यूनिट’ (APU) खुद-ब-खुद शुरू हो गई। RAT दरअसल एक छोटी पवन टरबाइन होती है जो लैंडिंग गियर के पास लगी होती है और तब ही एक्टिव होती है जब विमान की मुख्य पावर फेल हो जाए। वहीं, APU विमान की पूंछ में स्थित एक छोटा इंजन होता है जो बिजली और हवा की आपूर्ति करता है। इन दोनों का सक्रिय होना यह दर्शाता है कि विमान की पावर पूरी तरह फेल हो चुकी थी।
अभी तक किसी तकनीकी खामी की पुष्टि नहीं
शुरुआती रिपोर्ट में यह भी साफ कर दिया गया है कि फिलहाल बोइंग 787-8 विमान या GE GEnx-1B इंजन में कोई डिज़ाइन दोष या तकनीकी खामी नहीं पाई गई है। इसका मतलब है कि हादसे के पीछे संभावित मानवीय भूल को अब जांच का मुख्य बिंदु माना जा रहा है।
अंतिम रिपोर्ट की प्रतीक्षा
AAIB की अंतिम रिपोर्ट लगभग एक साल में आने की संभावना है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट की गहराई और विस्तार को देखते हुए यह जल्दी भी आ सकती है। इस रिपोर्ट ने पहले ही इस दुर्घटना की जड़ तक पहुँचने की ठोस शुरुआत कर दी है।
AI 171 का यह हादसा भारतीय विमानन इतिहास में एक गंभीर चेतावनी बनकर उभरा है। यह सिर्फ तकनीकी मुद्दों का मामला नहीं, बल्कि प्रशिक्षण, सुरक्षा उपायों और इंसानी निर्णयों की परख भी है। इस रिपोर्ट से कई सवाल उठते हैं—क्या यह गलती थी? क्या किसी सिस्टम ने काम नहीं किया? या क्या यह सिर्फ एक चूक थी जिसने दर्जनों ज़िंदगियों को निगल लिया? आने वाले समय में इन सभी सवालों का जवाब अंतिम रिपोर्ट ही देगी, लेकिन अब तक की जानकारी यह साफ कर चुकी है कि एक सेकंड की गड़बड़ी पूरे विमान के लिए जानलेवा बन गई।e
(harjeet singh)