
बिलकुल, यहां वही लेख बिना किसी इमोजी के दिया गया है:
“रैकेट के पीछे छिपा मातृत्व का मातम: जब बेटी की उड़ान बाप को नागवार गुज़री” — गुरुग्राम मर्डर केस में खुलासा
गुरुग्राम, 12 जुलाई 2025:
देश को चौंका देने वाले राधिका यादव मर्डर केस में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। टेनिस की उभरती हुई खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या उसके ही पिता ने की, यह तो पहले ही सामने आ चुका था। लेकिन अब पुलिस ने स्पष्ट किया है कि वह जिस टेनिस अकैडमी को लेकर विवाद की बात कही जा रही थी, असल में वह कोई अकैडमी थी ही नहीं।
राधिका के पास अकैडमी नहीं थी, किराए के कोर्ट पर देती थीं ट्रेनिंग
गुरुग्राम पुलिस ने शनिवार को जानकारी दी कि राधिका यादव ने कोई खुद की टेनिस अकैडमी नहीं खोली थी। इसके विपरीत, वह शहर के विभिन्न इलाकों में स्थित टेनिस कोर्ट को अस्थायी रूप से बुक कर के युवाओं को प्रशिक्षण देती थीं। यह तरीका उनके पिता दीपक यादव को पसंद नहीं था।
पुलिस अधिकारी ने बताया, “दीपक यादव को लगता था कि समाज के लोग उन्हें बेटी की कमाई पर पलने वाला समझते हैं। यही बात उन्हें अंदर तक परेशान कर रही थी।” राधिका जब भी नई बैच शुरू करतीं, पिता उन्हें रोकने की कोशिश करते थे।
पिता की मानसिक स्थिति और अहम बना वजह
दीपक यादव ने हत्या के बाद अपना जुर्म कबूल कर लिया है। उन्होंने पुलिस को बताया कि आसपास के लोगों के ताने उन्हें बार-बार चुभते थे कि वे अपनी बेटी की कमाई पर जिंदा हैं। हालांकि, पुलिस ने स्पष्ट किया है कि दीपक यादव आर्थिक रूप से सक्षम थे। उन्हें किराए से भी नियमित आय मिलती थी और उनका खुद का कारोबार भी था।
लेकिन समाज का डर और एक पिता का झूठा अहंकार अंततः एक हत्या का कारण बन गया। दीपक ने कई बार राधिका से प्रशिक्षण बंद करने को कहा, लेकिन उसने इनकार कर दिया। इसी बात पर दोनों में अक्सर झगड़े होते थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला सच्चाई का दूसरा पहलू
मूल एफआईआर में दावा किया गया था कि राधिका को पीछे से तीन गोलियां मारी गईं। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उसे चार गोलियां मारी गईं और सभी सीने में थीं। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि गोली चलाने वाला व्यक्ति जानबूझकर सामने से हमला करने की मंशा से आया था — यानी यह हमला पूर्वनियोजित था।
हत्या के बाद राधिका का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और फिर 12 जुलाई को उनके पैतृक गांव वज़ीराबाद में अंतिम संस्कार किया गया।
इंस्टाग्राम वीडियो से कोई लेना-देना नहीं
एक वक्त पर पुलिस जांच में यह आशंका भी उठी थी कि राधिका की इंस्टाग्राम रील या उसका एक म्यूज़िक वीडियो, जो इंटरनेट पर वायरल हुआ था, उसकी हत्या का कारण हो सकता है। लेकिन अब पुलिस ने साफ कर दिया है कि इस वीडियो का राधिका की मौत से कोई लेना-देना नहीं है।
सेक्टर-56 थाना प्रभारी विनोद कुमार ने कहा, “जिस वीडियो को लेकर चर्चा हो रही थी, वह साल 2023 में अपलोड किया गया था और उसका हत्या से कोई संबंध नहीं है। दीपक यादव ने बार-बार यही बात दोहराई है कि उन्हें बेटी का ट्रेनिंग देना स्वीकार नहीं था।”
सोशल मीडिया से दूरी
राधिका यादव ने वीडियो अपलोड करने के कुछ समय बाद इंस्टाग्राम अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया था। म्यूज़िक वीडियो में गायक इनाम उल हक़ के अनुसार, वीडियो रिलीज़ के बाद राधिका को ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने कभी इस पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी।
कौन थीं राधिका यादव?
राधिका यादव एक होनहार टेनिस खिलाड़ी थीं। उन्होंने कई राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया था। वह युवाओं को प्रशिक्षित कर खुद का खर्च निकालती थीं और अपने टैलेंट से खुद की पहचान बना रही थीं।
उनके जानने वालों का कहना है कि राधिका ज़मीन से जुड़ी हुई थीं और कभी घमंड नहीं किया। उन्होंने सीमित संसाधनों में भी एक मुकाम बनाने की ठानी थी। उनकी मौत ने देश में बेटियों की आज़ादी और परिवार में उनकी स्थिति को लेकर बहस छेड़ दी है।
क्या यह सिर्फ एक हत्या थी?
नहीं, यह सिर्फ एक क्राइम स्टोरी नहीं है। यह उस मानसिकता का परिणाम है जो बेटियों की उड़ान को अब भी सीमित दायरे में देखना चाहती है।
यह सवाल छोड़ता है:
- क्या बेटियों का आत्मनिर्भर होना कुछ लोगों को आज भी खटकता है?
- क्या समाज का डर एक पिता को अपनी ही बेटी का कातिल बना सकता है?
- क्या बेटी की मेहनत को सम्मान नहीं, शक की निगाह से देखा जाता है?
केस की वर्तमान स्थिति
दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है और फिलहाल वे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं। पुलिस ने उनसे हत्या में इस्तेमाल किया गया हथियार भी बरामद कर लिया है।
पुलिस अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट और गवाहों के बयान के आधार पर चार्जशीट तैयार कर रही है। कोर्ट में यह केस जल्द ही दाखिल किया जाएगा।
राधिका यादव की कहानी सिर्फ एक बेटी की हत्या की नहीं है, यह एक ऐसी सोच की हत्या है जो यह मानती है कि बेटियां भी उड़ान भर सकती हैं। उनका संघर्ष, उनकी उपलब्धियां और अंततः उनकी दर्दनाक मौत इस समाज के दोहरे मापदंडों को सामने लाती है।
यह केस सिर्फ एक एफआईआर या अदालत का फैसला नहीं है, यह हर उस घर के लिए सबक है जहां बेटियों की कामयाबी को परिवार का अपमान समझा जाता है।
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(gurshan)