
कोच्चि – करगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ के मौके पर मंगलवार को एक खास आयोजन में सेना के जांबाज़ जवानों का दल शहीद लांस नायक संतोष कुमार पी.के. के घर पहुंचा। ये कार्यक्रम ‘घर-घर शौर्य सम्मान महोत्सव’ के तहत वझक्कुलम (मूवत्तुपुझा के पास) स्थित उनके निवास पर हुआ, जहां शहीद की पत्नी प्रिया के.जी., मां लक्ष्मी अम्मा और बेटे अर्जुन को सेना ने विशेष सम्मान सौंपा।
इस दल का नेतृत्व नायब सूबेदार किंग्सलिन ने किया, जिन्होंने संतोष कुमार की तस्वीर पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर रिज़ीमेंट हवलदार मेजर राजीश के.के., कई पूर्व सैनिक और NCC कैडेट्स भी मौजूद रहे।
बचपन से था सेना में जाने का सपना
प्रिया जी ने नम आंखों से बताया, “संतोष को बचपन से ही देश सेवा का सपना था। उन्होंने 1 अक्टूबर 1984 को भारतीय सेना जॉइन की और पूरे 14 साल 279 दिन तक देश के लिए समर्पित रहे।”
उन्होंने बताया कि संतोष कुमार ने ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन रक्षक, और ऑपरेशन विजय जैसे चार बड़े सैन्य अभियानों में भाग लिया था। 1993 में दोनों की शादी हुई थी।
6 जुलाई 1999 को वे करगिल युद्ध के दौरान बटालिक सेक्टर में वीरगति को प्राप्त हुए। देश के लिए अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से नवाजा गया।
गांव ने बनाया स्मारक, पार्क को मिला नाम
शहीद के बलिदान को अमर बनाने के लिए उनके पैतृक गांव वेट्टिमट्टम के निवासियों ने एक भव्य स्मारक बनाया है। साथ ही, थोडुपुझा नगरपालिका ने उनके नाम पर एक पार्क का नाम रखकर उनकी वीरता को स्थायी सम्मान दिया है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से सेना ने यह संदेश दिया कि देश कभी भी अपने वीर सपूतों और उनके परिवारों को नहीं भूलता। करगिल जैसे कठिन युद्धों में शहीद हुए जवानों की यादें और बलिदान आज भी हर भारतीय के दिल में जीवित हैं।