
जासूसी के आरोपों के बीच टूटा भरोसा: पाकिस्तान से लौटकर खरीदी एक्टिवा, अब थाने में खड़ी है – अपनों ने भी बना ली दूरी
नई दिल्ली।
पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार की गई न्यू अग्रसेन कॉलोनी निवासी यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की जिंदगी इन दिनों उथल-पुथल से भरी हुई है। पाकिस्तान से तीसरी बार लौटने के बाद ज्योति ने नई एक्टिवा खरीदी थी, जिस पर अभी तक टेंपररी नंबर प्लेट लगी हुई है। लेकिन अब वही एक्टिवा सिविल लाइन थाने में खड़ी है, और ज्योति सलाखों के पीछे।
15 मई से गायब, एक्टिवा के साथ पहुंची थी थाने
ज्योति के पिता हरीश मल्होत्रा के अनुसार, 15 मई को पुलिस उनकी बेटी को पूछताछ के लिए घर से साथ ले गई थी। रात में पुलिस ने उसे घर वापस छोड़ दिया, लेकिन अगले ही दिन दोबारा थाने बुलाया। उस दिन ज्योति अपनी नई एक्टिवा पर सवार होकर थाने पहुंची, मगर फिर कभी वापस नहीं लौटी। उसी दिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया और एक्टिवा भी पुलिस ने जब्त कर ली।
थाने में नहीं मिली एक्टिवा की चाबी
गिरफ्तारी के बाद, ज्योति ने पुलिस से कहा कि एक्टिवा की चाबी उसके पिता को दे दी जाए। लेकिन पुलिस ने इंकार कर दिया। हरीश मल्होत्रा का कहना है कि वह अब अपनी बेटी से सोमवार को अदालत में पेशी के दौरान मिलने जाएंगे।
अपनों ने भी तोड़ लिया साथ
सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि गिरफ्तारी के बाद से ही परिवार सामाजिक बहिष्कार झेल रहा है। हरीश मल्होत्रा बताते हैं कि उनकी बहन गुरुग्राम में रहती हैं और चाचा के चार बेटे रोहतक में, लेकिन किसी ने भी हालचाल तक नहीं पूछा। यहां तक कि पड़ोसी भी अब नजरें चुराने लगे हैं। “पुलिस के डर से सबने दूरी बना ली है,” उन्होंने कहा।
कानूनी लड़ाई शुरू, एक परिचित ने दिलाया वकील
हरीश मल्होत्रा ने बताया कि उनकी बेटी के लिए एक परिचित ने वकील किया है, जिससे वह सोमवार को मिलने वाले हैं। उसी दिन बेटी से भी अदालत में मिलेंगे, जहां पेशी होनी है।
संपूर्ण कहानी में झलकता है एक पिता का दर्द, एक बेटी की गिरफ़्तारी और समाज का बेरुख़ा चेहरा।
यह मामला सिर्फ कानून की नजर में एक केस नहीं, बल्कि एक परिवार के लिए टूटते रिश्तों, भरोसे और सामाजिक तानों की कहानी बन चुका है।