
क्विंगदाओ (चीन), 26 जून 2025 — रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ मिलकर खड़े होने की अपील की। उन्होंने कहा, “आतंकवाद और शांति साथ-साथ नहीं चल सकते।” यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत, चीन और अन्य देशों के बीच सुरक्षा और सहयोग को लेकर संवेदनशील वार्ताएं चल रही हैं।
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि “आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई सिर्फ किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी मानवता और सामूहिक सुरक्षा के लिए है। जो देश आतंकवाद को पनाह देते हैं, उसका इस्तेमाल अपनी रणनीति के तहत करते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी चाहिए।”
इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी भाग ले रहे हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच किसी औपचारिक बैठक की संभावना नहीं है।
एससीओ की इस बैठक में ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस के रक्षा मंत्री भी शामिल हो रहे हैं। यह यात्रा भारत और चीन के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा मंत्री की पहली आधिकारिक यात्रा है।
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद को लेकर शून्य सहिष्णुता की नीति पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद को किसी भी तर्क से उचित नहीं ठहराया जा सकता। इसके पीछे चाहे जो भी कारण हो, यह निंदनीय और आपराधिक कृत्य है।”
उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भी उल्लेख किया, जिसमें अप्रैल 2025 में बैसारन की वादियों में पर्यटकों पर हमला कर दर्जनों निर्दोष लोगों की जान ली गई थी। इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ होने की आशंका जताई गई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के आयोजकों, वित्तपोषकों और उन्हें समर्थन देने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने एससीओ देशों से अपील की कि आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरी नीति अपनाने वाले देशों की आलोचना करनी चाहिए और एक समान दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
भारत की ओर से यह भी दोहराया गया कि वह अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के पक्ष में हमेशा प्रतिबद्ध रहा है।
यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत और चीन के बीच संबंध सुधारने की कोशिशें तेज हो रही हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, यात्रा और संवाद की बहाली पर काम हो रहा है।
रक्षा मंत्री की यह यात्रा सुरक्षा संवाद और क्षेत्रीय सहयोग के लिहाज़ से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जहां भारत ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति स्पष्ट और अडिग है।