
कक्षा 8 में थिएटर, म्यूजिक और नाटक होंगे जरूरी विषय, ‘कृति’ किताब भी हुई लॉन्च | एनसीईआरटी का बड़ा बदलाव 2025 से लागू
2025-26 सत्र से कक्षा 8 के लिए बड़ी खबर
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब कक्षा 8 के छात्रों के लिए थिएटर (नाटक), संगीत और ड्रामा (नाट्यकला) जैसे विषय स्कूल के नियमित पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे। साथ ही, ‘कला’ (Art) को एक जरूरी विषय बना दिया गया है, जिसे हर छात्र को पढ़ना और पास करना होगा।
यह बदलाव 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से देशभर में लागू होगा। इसका उद्देश्य बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि रचनात्मक सोच और कला के माध्यम से संपूर्ण विकास का मौका देना है।
अब ‘कला’ बन गई अनिवार्य विषय
अब तक कला को स्कूलों में एक वैकल्पिक या ऐच्छिक विषय की तरह पढ़ाया जाता था। लेकिन अब से यह एक अनिवार्य विषय होगा। इसका मतलब यह है कि सभी छात्रों को यह विषय पढ़ना और उसमें पास होना अनिवार्य होगा, चाहे उनकी इसमें रुचि हो या न हो।
अगर कोई छात्र कला विषय में फेल हो गया, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। इसलिए अब सभी स्कूलों को कला की पढ़ाई को उतना ही महत्व देना होगा जितना गणित, विज्ञान या अंग्रेज़ी को दिया जाता है।
‘कृति’ – नई आर्ट बुक की शुरुआत
इस बदलाव को लागू करने के लिए NCERT ने एक नई किताब लॉन्च की है जिसका नाम है ‘कृति’। यह किताब खासतौर पर कक्षा 8 के छात्रों के लिए बनाई गई है।
‘कृति’ किताब में बच्चों को थिएटर, म्यूजिक, नाटक और पेंटिंग जैसी कलाओं के बारे में आसान और दिलचस्प तरीके से बताया गया है। इसमें केवल थ्योरी नहीं, बल्कि बच्चों को प्रैक्टिकल रूप से रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करने के लिए कई अभ्यास भी दिए गए हैं।
इस किताब का मकसद है कि छात्र सोचें, महसूस करें, बोलें, अभिनय करें और अपनी कल्पनाओं को कागज और मंच पर लाएं।
नई हिंदी और अंग्रेजी की किताबें भी आईं
केवल कला ही नहीं, बल्कि भाषा की पढ़ाई को भी बेहतर बनाने के लिए NCERT ने नई किताबें जारी की हैं। इनमें शामिल हैं:
- ‘पूर्वी’ – कक्षा 8 की नई अंग्रेज़ी की किताब
- ‘मल्हार’ – कक्षा 8 की नई हिंदी की किताब
ये दोनों किताबें नई शिक्षा नीति के अनुरूप बनाई गई हैं, ताकि छात्र भाषा को केवल याद न करें, बल्कि उसे समझें और प्रयोग करें।
इसके अलावा, कक्षा 5 के छात्रों के लिए भी दो नई किताबें जारी की गई हैं:
- ‘संतूर’ – अंग्रेज़ी की किताब
- ‘वीणा’ – हिंदी की किताब
यह बदलाव क्यों जरूरी था?
नई शिक्षा नीति (NEP 2020) का मकसद है कि बच्चों को केवल रटने के लिए मजबूर न किया जाए। उनकी रचनात्मकता, सोचने की क्षमता और भावनात्मक समझ को भी बढ़ाया जाए।
आज के समय में बच्चे अक्सर नंबरों की दौड़ में दबाव में आ जाते हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि हर बच्चा गणित या विज्ञान में तेज़ हो। कोई अच्छा गायक हो सकता है, कोई चित्रकार, तो कोई अदाकार।
कला विषय छात्रों को आत्मविश्वास, तनाव से निपटने की क्षमता, और खुद को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करने की ताकत देता है। इससे बच्चों की सोचने की शक्ति और सामाजिक समझ भी बढ़ती है।
स्कूलों को क्या बदलाव करने होंगे?
इस नई योजना के चलते स्कूलों को कई जरूरी बदलाव करने होंगे:
- कला, संगीत और थिएटर के योग्य शिक्षकों की नियुक्ति
- आर्ट रूम, थिएटर हॉल, म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स जैसी सुविधाएं
- समय सारणी में कला के लिए अलग समय तय करना
- अभिभावकों को जागरूक करना कि कला की पढ़ाई कितनी जरूरी है
एनसीईआरटी का उद्देश्य – “हर बच्चा है कलाकार”
एनसीईआरटी का मानना है कि हर बच्चा अंदर से रचनात्मक होता है। कुछ को मौका मिलता है, कुछ को नहीं। इस नई पहल से हर बच्चे को अपने अंदर छिपे कलाकार को पहचानने और निखारने का मौका मिलेगा।
अब तक शिक्षा में सिर्फ अकादमिक विषयों को ही महत्व दिया जाता था। लेकिन अब कला को भी बराबरी मिलेगी। इससे बच्चों का मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास होगा।
भविष्य के लिए तैयारी
भविष्य में केवल किताबी ज्ञान से ही नौकरी नहीं मिलेगी। रचनात्मक सोच, टीमवर्क, अभिव्यक्ति की कला और भावनात्मक समझ जैसी क्षमताएं ज़रूरी होंगी।
थिएटर, म्यूजिक और नाटक जैसे विषय छात्रों को बोलने, महसूस करने, समझने और सहयोग करने की कला सिखाते हैं। ये जीवन भर उनके काम आएंगी।
एनसीईआरटी द्वारा लिया गया यह निर्णय—कक्षा 8 से थिएटर, संगीत, नाटक को नियमित विषय बनाना और कला को अनिवार्य करना—भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक कदम है।
‘कृति’, ‘पूर्वी’, ‘मल्हार’, ‘संतूर’ और ‘वीणा’ जैसी किताबों के ज़रिए यह बदलाव जमीन पर दिखेगा। यह केवल शिक्षा का सुधार नहीं है, बल्कि सोच का बदलाव है—जिसमें हर बच्चे को खुद को पूरी तरह से व्यक्त करने का अवसर मिलेगा।
by harjeet singh