
तेल अवीव और तेहरान के बीच लगातार छठे दिन जारी हवाई हमलों के बीच स्थिति और गंभीर होती जा रही है। एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक मानवाधिकार संगठन ने दावा किया है कि इज़राइल के हमलों में ईरान में अब तक 585 लोगों की जान गई है, जबकि 1,326 अन्य घायल हुए हैं।
इस बीच, इज़राइली नेतृत्व और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया है कि इज़राइल अब पूरी तरह से ईरानी हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए हुए है। दूसरी ओर, ईरान ने बयान जारी कर कहा है कि उसने तेल अवीव में एक महत्वपूर्ण खुफिया ठिकाने को निशाना बनाया है। इज़राइली सूत्रों ने भी स्वीकार किया है कि ईरानी मिसाइलों ने सैन्य और नागरिक दोनों तरह के ठिकानों को नुकसान पहुंचाया है।
भारत सरकार ने ईरान में रह रहे भारतीय छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है और अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का मार्ग ईरानी हवाई क्षेत्र से हटा दिया है। इस बीच, हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विदेश मंत्रालय से इराक में फंसे 120 भारतीय नागरिकों की तत्काल निकासी की अपील की है।
अब तक के प्रमुख घटनाक्रम:
पांचवें दिन भी दोनों देशों के बीच टकराव जारी रहा, जिसमें ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में विस्फोट हुए और इज़राइली शहरों पर मिसाइलें दागी गईं। रिपोर्ट्स के अनुसार, तेल अवीव में मोसाद के एक कार्यालय को टारगेट किया गया है, जबकि तेहरान में एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति की हत्या की गई है। ईरान के सरकारी सूत्रों के अनुसार, इज़राइली हमलों में मरने वालों की संख्या अब 220 से अधिक हो चुकी है, जिसमें कम से कम 70 महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। दूसरी ओर, ईरान के हमलों में इज़राइल में भी 20 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं।
अमेरिका ने भी इस संकट में सीधा हस्तक्षेप किया है। दो अमेरिकी लड़ाकू विमानों को ईरान की सीमा में भेजा गया है और वॉशिंगटन ने ईरानी नेतृत्व से बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग की है।
G7 सम्मेलन का प्रभाव:
कनाडा में हो रहे G7 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं ने इज़राइल-ईरान तनाव को लेकर गंभीर चिंता जताई है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ट्रंप ने बैठक के दौरान सभी नेताओं को बताया कि वह संघर्ष विराम के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। “युद्धविराम का प्रस्ताव रखा गया है ताकि व्यापक वार्ताएं शुरू की जा सकें,” मैक्रों ने कहा।
जर्मनी की चांसलर मर्ट्ज़ ने बयान में कहा कि अमेरिका और इज़राइल, अगर चाहें, तो मिलकर ईरान की परमाणु सुविधाओं को पूरी तरह से खत्म करने की क्षमता रखते हैं। G7 समूह के सदस्य देशों ने सामूहिक रूप से इज़राइल का समर्थन किया है और ईरान को क्षेत्र में अस्थिरता का मुख्य कारण बताया है।