
तेहरान, ईरान | जून 2025
ईरान के सुरक्षा बलों ने तेहरान के दक्षिण में स्थित रे शहर के बाहरी इलाके में एक गुप्त ड्रोन और बम निर्माण फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है, जिसे इजरायली खुफिया एजेंसी मॉसाद से जोड़ा जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, इस परिसर से 200 किलोग्राम विस्फोटक, 23 ड्रोन, लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म, और आत्मघाती ड्रोन के पुर्जे बरामद किए गए हैं।
इस व्यापक कार्रवाई के दौरान, देश के विभिन्न प्रांतों से कम से कम 28 कथित इजरायली एजेंटों को भी गिरफ्तार किया गया है। ईरानी खुफिया विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई इजराइल द्वारा ईरानी धरती पर चलाए जा रहे एक दीर्घकालिक छाया युद्ध की प्रतिक्रिया में की गई।
ऑपरेशन राइजिंग लायन से जुड़ाव
इस फैक्ट्री का पता चलना और गिरफ्तारियां इजरायली चैनल कान की उस रिपोर्ट के बाद हुईं, जिसमें ऑपरेशन राइजिंग लायन का खुलासा किया गया था — मॉसाद द्वारा वर्षों से चलाया जा रहा एक तोड़फोड़ और खुफिया अभियान। रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन का मकसद ईरान के भीतर ड्रोन बेस स्थापित करना, हथियारों का पूर्व-संचयन, और ईरानी वायु सुरक्षा को निष्क्रिय करना था।
स्रोतों के अनुसार, इस अभियान के दौरान 100 से अधिक लक्ष्यों को निशाना बनाया गया, जिनमें IRGC की संवेदनशील सैन्य ठिकानों के साथ-साथ नतांज का परमाणु परिसर भी शामिल था।
सुरक्षा में खतरनाक खामियां
इस घटना ने ईरान की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तेल अवीव यूनिवर्सिटी के मिडल ईस्ट विशेषज्ञ और तेहरान के मूल निवासी डॉ. ओरी गोल्डबर्ग के अनुसार, “इस्लामिक रिपब्लिक अब इजरायल समेत कई बाहरी ताकतों की घुसपैठ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो चुकी है।”
उन्होंने 2020 में हुए वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक मंसूर फख़रीज़ादेह की हत्या को इसका उदाहरण बताया, जिन्हें ऑटोमैटिक गन से उस समय मारा गया था जब वे वाहन से यात्रा कर रहे थे। इसी तरह, 2018 में मॉसाद द्वारा ईरान के गुप्त AMAD परमाणु कार्यक्रम से जुड़े लाखों दस्तावेज भी चुराए गए थे।
इजरायली रणनीति: ताकत या भ्रम?
गोल्डबर्ग का मानना है कि इजरायल को लंबी अवधि के गुप्त अभियानों में महारत हासिल है। “हालिया हमलों से साफ है कि जमीन पर तैनात टीमें पहले से ही मौजूद थीं — और वे सभी जरूरी नहीं कि इजरायली ही हों,” उन्होंने कहा।
रिपोर्टों के अनुसार, ऑपरेशन राइजिंग लायन की पहली लहर में इजरायली कमांडो ने सीमा पार घुसपैठ की, ड्रोन पार्ट्स को ईरान पहुंचाया, और 200 से अधिक विमानों के हमलों के लिए आसमान को नियंत्रित किया। हालांकि यह तकनीकी रूप से बेहद परिष्कृत ऑपरेशन था, विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कोई स्पष्ट दीर्घकालिक रणनीति नहीं है।
गोल्डबर्ग ने गाजा संघर्ष की तुलना करते हुए कहा, “इजरायल ने हमास को खत्म करने और बंधकों को छुड़ाने का वादा किया था, लेकिन दोनों ही लक्ष्य पूरे नहीं हुए — और अब भी वहां संघर्ष जारी है।”
क्षेत्रीय तनाव की नई लकीर
इस खुलासे ने मध्य पूर्व में पहले से मौजूद तनाव को और अधिक गहरा कर दिया है। जहां एक ओर ईरान इस कार्रवाई को अपनी आंतरिक सुरक्षा पर आघात मान रहा है, वहीं इजरायल ने अब तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। विश्लेषकों का कहना है कि यह छाया युद्ध अब केवल सीमित सैन्य कार्रवाई न रहकर, साइबर, खुफिया और मनोवैज्ञानिक रणनीति का हिस्सा बन चुका है — और इसका अंत अभी दूर है।