
एनडीए का ऐतिहासिक पल: पहली बार पास आउट होंगी 17 महिला कैडेट्स, 30 मई को दिखेगा त्रिसेवा एकेडमी में नया भारत
30 मई 2025 को देश के सैन्य इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के 148वें कोर्स की पहली महिला कैडेट्स का बैच पास आउट होगा। यह ऐतिहासिक क्षण त्रिसेवा एकेडमी में आयोजित पासिंग आउट परेड (POP) के दौरान साकार होगा, जब 300 से अधिक पुरुष कैडेट्स के साथ 17 महिला कैडेट्स भी गर्व के साथ मार्च करती दिखाई देंगी।
तीन साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद मिली ऐतिहासिक मंज़िल
इन महिला कैडेट्स ने तीन वर्षों की कड़ी सैन्य प्रशिक्षण यात्रा पूरी की है। इस दौरान उन्हें पुरुष कैडेट्स के समान सभी अवसर मिले और उन्होंने सभी चुनौतियों को डटकर पार किया। कैडेट इशिता शर्मा ने कहा, “हमें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि हम महिला हैं; हमें हर मोर्चे पर समान ट्रीटमेंट मिला।” उन्होंने बताया कि पूरी ट्रेनिंग के दौरान सभी महिला कैडेट्स के बीच गहरी एकता रही और वे एक-दूसरे का हाथ थामे हर कठिनाई को पार करती रहीं।
एक अन्य कैडेट रितुल ने साझा किया कि शुरू में शारीरिक चुनौतियाँ बहुत कठिन थीं, लेकिन समय के साथ प्रशिक्षण ने उन्हें मजबूत बनाया। “शुरुआत में 2 किलोमीटर दौड़ भी कठिन लगती थी, लेकिन आज हम 14 किलोमीटर तक दौड़ सकते हैं,” उन्होंने गर्व से कहा।
थल सेना, वायुसेना और नौसेना का बनेंगी हिस्सा
ये 17 महिला कैडेट्स भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना में अपनी सेवाएं देंगी। त्रिसेवा एकेडमी से पास आउट होने के बाद वे भारत की सैन्य ताकत का अभिन्न अंग बनेंगी और भविष्य में देश की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिली नई राह
महिलाओं के लिए एनडीए के दरवाज़े खोलने का श्रेय सुप्रीम कोर्ट को जाता है, जिसने अगस्त 2021 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इस फैसले के तहत संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को महिलाओं को भी एनडीए और नौसेना अकादमी की प्रवेश परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया गया था। इससे पहले एनडीए केवल पुरुषों के लिए आरक्षित थी।
148वां कोर्स बना मिसाल
एनडीए का 148वां कोर्स अब न केवल सैन्य प्रशिक्षण के लिए बल्कि लैंगिक समानता और समावेशन के प्रतीक के रूप में भी जाना जाएगा। यह कोर्स भारतीय सेना की सोच में आए क्रांतिकारी बदलाव और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का जीवंत प्रमाण है।
नज़रें 30 मई पर टिकी हैं, जब त्रिसेवा एकेडमी के मैदान पर इतिहास लिखा जाएगा—जहां पहली बार महिला कैडेट्स कंधे से कंधा मिलाकर मार्च करेंगी और भविष्य की सैन्य नेतृत्व की ओर पहला कदम बढ़ाएंगी।