
बलूच नेता तारा चंद बलूच की प्रधानमंत्री मोदी से अपील: बलूचिस्तान आंदोलन को भारत का समर्थन दें
वॉशिंगटन/नई दिल्ली: बलूच अमेरिकी कांग्रेस के अध्यक्ष और बलूचिस्तान सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. तारा चंद बलूच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बलूचिस्तान के स्वतंत्रता आंदोलन को भारत का नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन देने की अपील की है। उन्होंने यह अपील दो औपचारिक पत्रों के माध्यम से की, जो सीधे दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय को संबोधित किए गए थे।
डॉ. चंद ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी के हाल ही में सिंधु जल संधि को स्थगित करने के निर्णय की सराहना करते हुए इसे एक “साहसी और रणनीतिक कदम” बताया, जो पाकिस्तान को स्पष्ट और शक्तिशाली संदेश देता है। उन्होंने लिखा, “आपका यह निर्णय इस बात को स्पष्ट करता है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
लाल किले से बलूचिस्तान का जिक्र बना उम्मीद की किरण
अपने पत्र में डॉ. चंद ने प्रधानमंत्री के लाल किले से दिए गए संबोधन में बलूचिस्तान का उल्लेख किए जाने को एक नैतिक समर्थन का प्रतीक बताया। उन्होंने लिखा, “दुनिया भर के बलूच लोगों ने आपके इस बयान को एक ऐसे राष्ट्र की ओर से समर्थन के संकेत के रूप में देखा है, जो पाकिस्तान के कब्जे, आतंक और शोषण का शिकार रहा है। यह बयान हमारे लिए आशा की एक किरण बना।”
पाकिस्तान के ‘क्रूर कब्जे’ और चीन की बढ़ती दखलंदाजी पर चिंता
डॉ. चंद ने पत्र में 1948 में बलूचिस्तान के पाकिस्तान में जबरन विलय के इतिहास को “क्रूर कब्जा” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि बलूच लोगों को दशकों से पाकिस्तान की सेना और उसकी समर्थित “जिहादी सेना” के अत्याचारों का सामना करना पड़ा है। उनके अनुसार, हजारों बलूच नागरिक लापता, मारे गए या यातनाएं झेलने पर मजबूर हुए हैं। उन्होंने विशेष रूप से रावलपिंडी के जीएचक्यू की भूमिका और चीन की भू-राजनीतिक दखलंदाजी को बलूचिस्तान की स्वायत्तता के लिए खतरा बताया।
डॉ. चंद ने लिखा, “पाकिस्तान की सेना द्वारा शासित यह असफल राज्य, बलूच लोगों की आवाज को दबाने के लिए नरसंहार, लापता कर देना और जबरन विस्थापन जैसे कृत्य कर रहा है। साथ ही, एक उपनिवेशवादी ताकत के रूप में चीन की बढ़ती भागीदारी एक और खतरा बन चुकी है।”
भारत से वैश्विक मंच पर नेतृत्व की अपील
बलूच नेता ने वैश्विक समुदाय की चुप्पी पर निराशा जताते हुए कहा कि “भारतीय मीडिया को छोड़कर बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों की चर्चा दुनिया में कहीं नहीं होती।” उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर वैश्विक मंचों पर नेतृत्वकारी भूमिका निभाए और बलूच आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिलाने में सक्रिय भूमिका अदा करे।
डॉ. चंद ने बलूच समुदाय की ओर से कहा कि उन्हें भारत के नेतृत्व से बहुत उम्मीदें हैं और वे प्रधानमंत्री मोदी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं।
बलूच अमेरिकी कांग्रेस: आवाज़ प्रवासी बलूचों की
गौरतलब है कि बलूच अमेरिकी कांग्रेस (BAC) एक पंजीकृत राजनीतिक इकाई है, जो बलूच राष्ट्र के आत्मनिर्णय के अधिकार की वकालत करती है। साथ ही यह संगठन अमेरिका में रह रहे बलूच प्रवासी समुदाय के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है।