
नई दिल्ली: Comptroller and Auditor General (CAG) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली सरकार को अपनी शराब नीति के कारण 2,002 करोड़ रुपये का भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नुकसान सरकार की गलत नीतियों और शराब वितरण के अनुशासनहीन तरीके के कारण हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार की नई शराब नीति, जो 2021 में लागू की गई थी, ने राज्य के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं की। इसके बजाय, वित्तीय अनुशासन की कमी और ठेकेदारों द्वारा नीतियों का उल्लंघन, इन आंकड़ों के पीछे मुख्य कारण रहे।
कहा गया है कि शराब के कारोबार को निजी खिलाड़ियों के हाथों में सौंपने से सरकार की ओर से राजस्व की संभावनाएं घट गईं और इसके परिणामस्वरूप 2,002 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। CAG ने बताया कि शराब के विक्रेताओं को दी गई छूट और नीति में बार-बार बदलावों के कारण सरकार का नियंत्रण कम हो गया और घाटे में वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि नीति के कारण, शराब के उत्पादों पर बिना सही मूल्य निर्धारण के कारण बाजार में असंतुलन आया, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमतों का सामना करना पड़ा और सरकार को भी अपेक्षित लाभ नहीं हुआ।
हालांकि, दिल्ली सरकार ने इस रिपोर्ट का जवाब देते हुए कहा है कि शराब नीति की समीक्षा की जा रही है और कुछ सुधार जल्द ही किए जाएंगे। लेकिन अब यह देखना होगा कि क्या भविष्य में इस नीति में बदलाव से राजस्व की स्थिति में सुधार होता है या नहीं।
इस मामले में विपक्षी दलों ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाए हैं कि उसने शराब नीति को लागू करते समय किसी भी वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं किया, और अब यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
अभी तक, यह मुद्दा दिल्ली विधानसभा में भी चर्चा का विषय बना हुआ है, और आगे चलकर इस पर राजनीतिक प्रतिक्रिया और निर्णय सामने आने की संभावना है।
दिल्ली सरकार को शराब नीति के तहत हुए वित्तीय नुकसान पर CAG की रिपोर्ट ने एक गंभीर सवाल खड़ा किया है। नीति में सुधार की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में राजस्व घाटे को रोका जा सके।