
तरुण शर्मा की सुनहरी जीत: खन्ना के कराटे चैंपियन ने उज्बेकिस्तान में रचा इतिहास
खन्ना के रहने वाले पैरा कराटे खिलाड़ी तरुण शर्मा ने एक बार फिर भारत का नाम रोशन कर दिया है। उज्बेकिस्तान में आयोजित 4वीं एशियन पैरा कराटे चैंपियनशिप में उन्होंने K-21 कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह जीत सिर्फ एक और मेडल नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प, आत्मबल और संघर्ष की विजयगाथा है।
तरुण की यह उपलब्धि उनकी बढ़ती हुई उपलब्धियों की फेहरिस्त में एक और चमकदार सितारा जोड़ती है। इस साल अप्रैल में अमेरिका के लास वेगास में आयोजित USA ओपन कराटे चैंपियनशिप में भी उन्होंने इसी श्रेणी में रजत पदक जीता था। इससे पहले, 2023 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित कॉमनवेल्थ कराटे चैंपियनशिप में उन्होंने दोहरा स्वर्ण पदक हासिल किया था।
इसके अलावा, हाल ही में हैदराबाद में हुई 4वीं KIO नेशनल कराटे चैंपियनशिप में भी तरुण ने स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिया कि भारत के K-21 पैरा कराटे वर्ग में उनका कोई सानी नहीं।
संघर्षों से सफलता तक
लेकिन तरुण का सफर कभी आसान नहीं रहा। सिर्फ छह साल की उम्र में एक पैरालिटिक अटैक ने उनके बचपन के सपनों को गहरा झटका दिया। इसके बाद आर्थिक तंगी, बुलींग, और सामाजिक चुनौतियों ने उनके जीवन को और मुश्किल बना दिया। परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने सब्ज़ी बेचने तक का काम किया। एक बार बेरोज़गारी के विरोध में उन्होंने खन्ना के मिनी सचिवालय के बाहर जूते पॉलिश किए—एक ऐसा प्रतीकात्मक कदम जिसने लोगों का ध्यान उनकी ओर खींचा।
यही मोड़ उनके जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आया। इस साहसिक पहल के बाद उन्हें खन्ना नगर निगम में डिप्टी क्लर्क की नियुक्ति मिली।
देश-विदेश में छाए तरुण
तरुण का अंतरराष्ट्रीय करियर भी शानदार रहा है। उन्होंने:
- 2022 एशियन पैरा चैंपियनशिप (उज्बेकिस्तान) में रजत पदक,
- 2023 में मलेशिया में कांस्य पदक,
- 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप (आयरलैंड) में पोडियम फिनिश,
- और 2018 में हंगरी व उज्बेकिस्तान ओपन में कई पदक जीतकर खुद को एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित किया।
समाज के लिए समर्पण
तरुण के लिए जीत सिर्फ मेडल तक सीमित नहीं है। उन्होंने खन्ना में एक कराटे अकादमी शुरू की है, जहाँ अब तक 1,400 से ज़्यादा ज़रूरतमंद लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। उनके लिए हर सिखाई गई किक एक डर के खिलाफ प्रहार है, और हर पंच आत्मविश्वास का पाठ।
तरुण शर्मा की कहानी उस जज़्बे की मिसाल है जो कहती है — हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे बुलंद हों, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।