
जलवायु कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण चेतावनी
प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने हाल ही में लद्दाख के खारदुंग ला ग्लेशियर से बर्फ का एक टुकड़ा अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भेजकर ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने का मुद्दा उठाया। अब, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर हिमालयी ग्लेशियरों के संरक्षण की अपील की है।
उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा कि यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो अगले महाकुंभ के दौरान हमारी पवित्र नदियाँ सूख सकती हैं, और यह कुंभ मेला रेतीले मैदान में आयोजित होने के लिए मजबूर हो सकता है। इसलिए, इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
ग्लेशियरों के संरक्षण के लिए नेतृत्व की आवश्यकता
इसके अलावा, वांगचुक ने अपने पत्र में लिखा, “भारत को ग्लेशियरों के इस वर्ष में नेतृत्व करना चाहिए”, क्योंकि हिमालय पृथ्वी पर तीसरी सबसे बड़ी बर्फ की जमा है, जिसे ‘तीसरा ध्रुव’ भी कहा जाता है। इतना ही नहीं, हमारी पवित्र नदियाँ गंगा और यमुना भी इन्हीं ग्लेशियरों से निकलती हैं।
इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि हिमालयी ग्लेशियरों का संरक्षण भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
संयुक्त राष्ट्र की पहल और ग्लेशियरों की स्थिति
इसी बीच, यह जानना दिलचस्प है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को ‘ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया है। इस संदर्भ में, वांगचुक ने जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करते हुए एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया।
उनका मानना है कि नए संसाधनों की तलाश करने के बजाय, हमें अपनी ऊर्जा खपत और संसाधनों की मांग को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि यदि ग्लेशियरों के पिघलने की दर पर जल्द नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी से तत्काल कदम उठाने की अपील
इसके अलावा, वांगचुक ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि सरकार एक विशेष आयोग बनाए, जो हिमालयी ग्लेशियरों की स्थिति का गहन मूल्यांकन कर सके। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दशकों में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियाँ मौसमी नदियाँ बन सकती हैं।
इतना ही नहीं, उन्होंने गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे प्रमुख ग्लेशियरों को ‘राष्ट्रीय धरोहर’ घोषित करने का सुझाव भी दिया। वास्तव में, यह कदम ग्लेशियरों के संरक्षण के लिए एक मजबूत शुरुआत हो सकता है।
विश्व नेताओं को संदेश और मिशन लाइफ का प्रचार
वांगचुक ने यह भी घोषणा की कि वह 2025 को ग्लेशियर संरक्षण का वर्ष बनाने के लिए सभी विश्व नेताओं को एक प्रतीकात्मक ग्लेशियर का टुकड़ा उपहार में देने की योजना बना रहे हैं।
इस पहल का उद्देश्य ‘मिशन लाइफ’ को बढ़ावा देना है, जिसे भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक वैश्विक पहल के रूप में प्रस्तुत किया है। इससे ग्लेशियरों और पर्यावरण संरक्षण के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ेगी।
अंततः, सोनम वांगचुक का यह पत्र भारतीय सरकार और वैश्विक समुदाय को ग्लेशियरों के संरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह करता है।
यदि हम अब भी इन अनमोल प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए सक्रिय नहीं होते, तो भविष्य में हमें अपनी पवित्र नदियों और ग्लेशियरों के अस्तित्व पर ही सवाल उठाना पड़ सकता है।
इसलिए, अब समय आ गया है कि हम इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन प्राकृतिक धरोहरों का अनुभव कर सकें।