
चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने KSCA अधिकारियों को गिरफ्तारी से दी राहत
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) के उन अधिकारियों को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया, जिन्होंने अदालत में याचिका दायर कर स्टेडियम भगदड़ मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। यह घटना 4 जून को बेंगलुरु स्थित चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति एस.आर. कृष्ण कुमार ने KSCA के अध्यक्ष रघुराम भट, सचिव ए. शंकर और कोषाध्यक्ष ई.एस. जयराम को अंतरिम राहत देते हुए आदेश दिया कि वे जांच में पूरा सहयोग करें।
कोर्ट ने कहा,
“अंतरिम व्यवस्था के तौर पर… याचिकाकर्ताओं के अधिकारों और दावों को सुरक्षित रखते हुए, अगली सुनवाई तक प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता 2, 3 और 4 के खिलाफ कोई जबरदस्ती की कार्रवाई न करें, बशर्ते कि याचिकाकर्ता जांच, पूछताछ, आयोग आदि में सहयोग करें।”
राज्य की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल शशि किरण ने तर्क दिया कि जांच को निर्बाध रूप से चलने देना चाहिए और उन्होंने गिरफ्तारी से संरक्षण के आदेश का विरोध किया।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के मार्केटिंग प्रमुख को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस पर एडवोकेट जनरल ने जवाब दिया,
“एक आरोपी को एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया, वह भागने की कोशिश कर रहा था। वह दुबई जाने वाला था।”
KSCA की ओर से पेश वकील ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री स्वयं गिरफ्तारी के निर्देश दे चुके हैं।
आख़िरकार, अदालत ने KSCA अधिकारियों को अंतरिम रूप से गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान कर दी।
इस मामले में एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर अगली सुनवाई 16 जून को होगी।
भगदड़ की पृष्ठभूमि
यह घटना 4 जून को हुई थी जब इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जीतने के बाद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) टीम के स्वागत के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए थे। RCB ने 18 वर्षों में पहली बार IPL खिताब जीता था और रॉयल चैलेंजर्स स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (RCSPL) ने इस अवसर पर स्टेडियम के बाहर विजय जुलूस का आयोजन किया था।
माना जा रहा है कि जब यह घोषणा हुई कि प्रशंसकों को स्टेडियम में मुफ़्त प्रवेश दिया जाएगा, तो भारी भीड़ ने स्टेडियम के गेट पर धक्का-मुक्की शुरू कर दी, जिससे भगदड़ मच गई और 11 लोगों की जान चली गई, जबकि 56 लोग घायल हुए।
घटना के बाद, कब्बन पार्क पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई। इसके साथ ही, कर्नाटक सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश जॉन माइकल कुन्हा के नेतृत्व में एक एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया जो घटना की जांच करेगा।
KSCA की दलील
KSCA ने अपनी याचिका में कहा कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर सरकार और पुलिस की जल्दबाज़ी में की गई कार्रवाई है, जो मीडिया के दबाव और आलोचना का सामना कर रही है।
याचिका में कहा गया है:
“इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए याचिकाकर्ता समिति या उसके पदाधिकारियों को किसी भी प्रकार की ज़िम्मेदारी नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी तरफ से स्वतंत्र मुआवज़ा देकर संवेदनशीलता दिखाई है। इसके बावजूद उन्हें अभियुक्त बनाकर मानसिक कष्ट पहुंचाया जा रहा है।”
याचिकाकर्ताओं में KSCA प्रबंधन के अध्यक्ष रघुराम भट, सचिव ए. शंकर और कोषाध्यक्ष ई.एस. जयराम शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि
“याचिकाकर्ता 2 से 4 अत्यंत सम्मानित व्यक्ति हैं, जो उच्च स्तर की पेशेवर सेवाओं में लगे हुए हैं — इनमें चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए गिरफ्तारी के स्पष्ट निर्देशों के चलते पुलिस कानून की धज्जियां उड़ाते हुए त्वरित कार्रवाई कर रही है।”
स्वत: संज्ञान और अन्य याचिकाएं
गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लिया और राज्य सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी। यह मामला 10 जून (मंगलवार) को फिर से सुना जाएगा।
इसी बीच, RCB के मार्केटिंग और रेवेन्यू प्रमुख निखिल सोजाले ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।