
जम्मू और कश्मीर (J&K) राज्य में पाकिस्तान की गोलाबारी से प्रभावित नागरिकों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में एक्स-ग्रेसिया सहायता की घोषणा की है। 10 मई 2025 को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तानी गोलाबारी से हुई जानमाल की हानि पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस संकट से उबरने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुआवजा किसी प्रियजन की खोने के दुख को पूरा नहीं कर सकता, लेकिन यह राहत कुछ हद तक उनके दर्द में कमी लाने का प्रयास है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा, “हम प्रभावित परिवारों के साथ हैं। राज्य सरकार ने तय किया है कि मृतकों के परिवारों को ₹10 लाख की एक्स-ग्रेसिया राशि दी जाएगी। हालांकि कोई भी राशि परिवारों के गहरे दुख को कम नहीं कर सकती, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे इस कठिन समय में अकेले न महसूस करें।”
पुंछ जिले में पाकिस्तान की गोलाबारी से स्थिति विशेष रूप से गंभीर थी। यहां 13 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 4 बच्चे और 2 महिलाएं भी शामिल थीं। इस गोलाबारी में 40 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें से कई की हालत गंभीर थी। मृतकों के परिवारों को ₹6 लाख की एक्स-ग्रेसिया राहत राशि दी गई, जबकि गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को ₹50,000 और हल्के घायल हुए व्यक्तियों को ₹20,000 की मदद दी गई।
जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने त्वरित राहत कार्य शुरू कर दिया था और पुंछ जिले में जिला रेड क्रॉस फंड से भी सहायता वितरित की। इसके अलावा, उप आयुक्त विकास कुंडल ने प्रशासन की जनकल्याण के प्रति प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करते हुए कहा, “हमने प्रभावित परिवारों को जितनी जल्दी हो सके सहायता प्रदान की है और भविष्य में भी हमारी टीम सुनिश्चित करेगी कि हर जरूरतमंद को मदद मिले।”
इसके साथ ही, श्री गुरु ग्रंथ साहिब परबंधक समिति (SGPC) का एक प्रतिनिधिमंडल भी पाकिस्तान के हमलों में मारे गए चार सिख नागरिकों के परिवारों से मिलने के लिए पुंछ पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवारों को ₹5 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की और उन्हें हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया।
सुरक्षा और राहत के इस प्रयास के अलावा, जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी हलचल रही। नेशनल कांफ्रेंस पार्टी ने केंद्र सरकार से जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा पुनः बहाल करने की मांग की है। पार्टी के नेताओं ने यह कहते हुए केंद्र को चेतावनी दी कि वर्तमान स्थिति में यह कदम उठाना समय की मांग है। उनका कहना था कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा का वातावरण इस कार्य को पूरा करने के लिए उपयुक्त है।
नेशनल कांफ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “केंद्र सरकार को जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से देना चाहिए। यह समय की जरूरत है और अगर इसे पूरा किया जाता है तो यह क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाएगा। इस कदम से राज्य में विश्वास का माहौल बनेगा और यह आतंकवाद और हिंसा से उबरने में मदद करेगा।”
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने से इस क्षेत्र की विकास प्रक्रिया को भी नया दिशा मिल सकता है। हालांकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में यह कदम क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
इसके अलावा, राज्य प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर एक नई रणनीति बनाई है। जम्मू और कश्मीर पुलिस और सेना की ओर से सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने निवासियों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सतर्क रहें और सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें।
सीमा पर सुरक्षा के बढ़े हुए उपायों के बावजूद, पाकिस्तान की ओर से जारी गोलाबारी और संघर्ष की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। हालांकि, जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने स्थिति को काबू में करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस तरह की घटनाओं से प्रभावित होने वाले नागरिकों की भलाई के लिए लगातार प्रयास करना आवश्यक है।
वर्तमान समय में यह स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के द्वारा उठाए गए कदमों ने प्रभावित परिवारों के लिए एक राहत का संदेश दिया है। लेकिन यह भी जरूरी है कि पाकिस्तान से हो रही गोलाबारी और संघर्ष की स्थिति को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच और कूटनीतिक वार्ताएं की जाएं। इसके अलावा, केंद्र सरकार को जम्मू और कश्मीर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक उपायों को लागू करना होगा।
इस पूरे घटनाक्रम में, यह संदेश स्पष्ट होता है कि जम्मू और कश्मीर में जो भी आपदा या संकट आता है, उसमें राज्य सरकार और प्रशासन हमेशा नागरिकों के साथ खड़ा रहता है। प्रभावितों को हर संभव मदद देने के लिए हर कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके और राज्य में शांति स्थापित हो सके।