
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को देश के सर्वोच्च सैन्य पद फील्ड मार्शल पर पदोन्नत कर दिया है। यह फैसला उस टकराव के कुछ ही दिन बाद आया है जिसमें भारत के साथ सैन्य तनाव में इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि यह निर्णय प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया ने इस पदोन्नति को “जनरल मुनीर की बेहतरीन नेतृत्व क्षमता” का सम्मान बताते हुए जमकर सराहा। मीडिया रिपोर्ट्स में हालिया भारत-पाक संघर्ष के दौरान उन्हें “सफल नेतृत्व” का श्रेय भी दिया गया है।
हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। भारतीय अधिकारियों और रक्षा विश्लेषकों ने तथ्यों और अंतरराष्ट्रीय ब्रीफिंग्स के जरिए पाकिस्तान की “विजय” की कहानी को पूरी तरह से झूठा बताया है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कभी फील्ड मार्शल का पद ऐतिहासिक युद्ध जीतने वाले सेनानायकों के लिए सुरक्षित था, तो अब यह पद पाकिस्तान में केवल सैन्य पीआर और राजनीतिक नाटक का प्रतीक बनता जा रहा है।
इस पदोन्नति का समय भी ध्यान खींचने वाला है। हाल ही में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सेना को नागरिकों पर सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। इस फैसले को विश्लेषकों ने सेना प्रमुख आसिम मुनीर की सत्ता पर पकड़ को और मजबूत करने वाला कदम बताया है।
आलोचक इसे पाकिस्तान की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सेना के बढ़ते नियंत्रण की एक और कड़ी मान रहे हैं। वहीं समर्थकों का कहना है कि यह फैसला पाकिस्तान की सुरक्षा के प्रति सेना की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
जहां एक ओर पाकिस्तान अपने नए फील्ड मार्शल का जश्न मना रहा है, वहीं अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक इसे एक विफल सैन्य रणनीति को “हीरोइज़्म” में बदलने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं—जो देश को और गहरे सैन्य शासन की ओर धकेल सकती है।