
इम्फाल, 15 जून (एजेंसी): मणिपुर की राजधानी इम्फाल में शनिवार देर रात अरम्बाई तेंगगोल (AT) के एक प्रमुख नेता की गिरफ्तारी के विरोध में युवाओं के एक समूह ने अपने सिर पर पेट्रोल डालकर खुद को आग लगाने की धमकी दी। इस घटना ने राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष को एक बार फिर से उजागर कर दिया है।
प्रमुख घटनाक्रम:
- AT नेता कनान सिंह की गिरफ्तारी के बाद इम्फाल में हिंसक प्रदर्शन शुरू
- प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर जलाए, मुख्य मार्गों को अवरुद्ध किया
- काले टी-शर्ट पहने युवाओं के समूह ने पेट्रोल की बोतलें लेकर आत्मदाह की धमकी दी
- प्रशासन ने पांच जिलों में कर्फ्यू लगाया, इंटरनेट सेवा निलंबित की
गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि:
कनान सिंह पर फरवरी 2024 में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोइरांगथेम अमित (एडिशनल एसपी) के आवास पर हमला और उनके अपहरण का आरोप है। उल्लेखनीय है कि कनान स्वयं राज्य पुलिस बल में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात था, जिसे बाद में “कर्तव्य की उपेक्षा” के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।
प्रदर्शनकारियों का तर्क:
प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने कहा, “हमने पहले ही हथियार छोड़ दिए थे। हमने बाढ़ राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। अब हमें गिरफ्तार किया जा रहा है। हमारे पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है।”
सुरक्षा व्यवस्था:
प्रशासन ने बिष्णुपुर, इम्फाल पश्चिम, इम्फाल पूर्व, थौबल और काकचिंग जिलों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की है। इन क्षेत्रों में पांच दिनों के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं।
अरम्बाई तेंगगोल की भूमिका:
AT मैतेई समुदाय का एक संगठन है जो स्वयं को “सांस्कृतिक संगठन” बताता है। हालांकि, कुकी समुदाय इस पर “सशस्त्र मिलिशिया” होने का आरोप लगाता है। फरवरी 2024 में, AT ने राज्यपाल के आदेश पर कई हथियार सौंपे थे। हाल के दिनों में इसके सदस्यों को बाढ़ राहत कार्यों में भाग लेते देखा गया था।
मोरह में समानांतर प्रदर्शन:
इसी बीच, सीमावर्ती शहर मोरह में कुकी समुदाय ने भी एक संदिग्ध विद्रोही नेता कामगिंगथांग गांगते की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया। गांगते पर अक्टूबर 2023 में एक पुलिस अधिकारी की स्नाइपर राइफल से हत्या का आरोप है।
जांच एजेंसियों की भूमिका:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) मणिपुर में कई हिंसक घटनाओं की जांच कर रही है, जिसमें AT प्रमुख कोरौंगनबा खुमान के खिलाफ चल रहा मामला भी शामिल है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जातीय आधार पर बंटे इस राज्य में किसी भी समुदाय के संदिग्धों को गिरफ्तार करने में प्रशासन को भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।
समुदायों के परस्पर आरोप:
मैतेई समुदाय का दावा है कि कानून-व्यवस्था की विफलता के कारण उन्हें “ग्राम स्वयंसेवक” बनने के लिए मजबूर होना पड़ा। वहीं, कुकी समुदाय AT को “साम्प्रदायिक मिलिशिया” बताता है जो उनके गांवों पर निरंतर हमले कर रहा है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर उन्नत हथियारों (AK-47, M-16 राइफल्स, स्नाइपर राइफल्स, मोर्टार और ड्रोन) के इस्तेमाल का आरोप लगाया है।
सुरक्षा बलों की चुनौतियां:
पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों समुदायों के सशस्त्र समूहों द्वारा “स्वयंसेवक” के रूप में काम करने का दावा करना है। इनमें से कई समूहों पर पुलिस शस्त्रागार लूटने के मामलों में संलिप्त होने का आरोप है।
अंतर्राष्ट्रीय पहलू:
म्यांमार में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद कई प्रतिबंधित मैतेई आतंकवादी समूह (PLA, KYKL, KCP) जो पिछले एक दशक से निष्क्रिय थे, वे फिर से सक्रिय हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (UNLF-P) एकमात्र मैतेई समूह है जिसने सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया है।
कुकी समूहों की स्थिति:
कुकी, जोमी और हमार जनजातियों के लगभग 24 विद्रोही समूह कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के बैनर तले संगठित हैं। ये सभी समूह सरकार के साथ ऑपरेशन निलंबन (SoO) समझौते के पक्षकार हैं, हालांकि इन पर नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगते रहे हैं।
मानवीय संकट:
मणिपुर में मई 2023 से चल रहे इस संघर्ष में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं। विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों में रहन-सहन की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
मैतेई हेरिटेज सोसाइटी के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह चिंताजनक है कि सिविल सोसाइटी समूह एक आतंकवादी की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं जो एक पुलिस अधिकारी की हत्या में शामिल है।” वहीं, कुकी संगठनों ने इसे “एकतरफा कार्रवाई” बताया है।
भविष्य की चुनौतियां:
विश्लेषकों का मानना है कि जब तक दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाली के ठोस प्रयास नहीं किए जाते और सभी सशस्त्र समूहों को निरस्त्रीकरण के लिए राजी नहीं किया जाता, तब तक मणिपुर में शांति स्थापित करना मुश्किल होगा। सुरक्षा बलों के लिए भी यह चुनौती बनी हुई है कि वे कैसे इन समूहों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे उन्नत हथियारों पर अंकुश लगाएं।