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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक के बीच सीजफायर, राफेल और S-400 को लेकर नई जंग के संकेत
इस्लामाबाद/नई दिल्ली — भारत द्वारा हाल में अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, पाकिस्तान और चीन में हलचल मच गई है। भारत की सर्जिकल स्ट्राइक जैसे एक्शन के बाद अब दोनों देशों के बीच युद्धविराम की स्थिति है, लेकिन सैन्य और रणनीतिक स्तर पर तनाव गहराता जा रहा है।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऑपरेशन के जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सेना के दो सबसे घातक हथियार — राफेल फाइटर जेट और रूस निर्मित S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाने की कोशिश की थी। हालांकि ये प्रयास नाकाम रहे।
राफेल की रणनीति जानने के पीछे कतर की भूमिका
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान इस हमले की तैयारी लंबे समय से कर रहा था, और इसमें उसे कतर और तुर्की जैसे इस्लामी सहयोगियों का साथ मिला। दरअसल, कतर ने भारत से पहले फ्रांस से राफेल विमान खरीदे थे, और उसके पाकिस्तान के साथ सैन्य संबंध भी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी पायलटों को कतर में राफेल उड़ाने का मौका मिला, जिससे वे इसकी क्षमताओं और कमजोरियों से परिचित हो सके। यह दावा 2019 में भी सामने आया था, जिसे फ्रांसीसी अधिकारियों ने फेक न्यूज़ बताया था। बावजूद इसके, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तानी पायलटों ने राफेल की उड़ान भरी है, तो वे इसके रडार सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर तकनीक और मिसाइलों की कार्यप्रणाली की बारीक जानकारी हासिल कर सकते हैं।
चीनी हथियारों से भारतीय राफेल पर हमला, असफल रहा प्रयास
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान ने J-10C फाइटर जेट से चीनी PL-15 मिसाइलें दागकर भारतीय राफेल को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन यह हमला विफल रहा। मिसाइलें अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकीं और उनका मलबा बरामद हुआ। माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने राफेल की रणनीतिक जानकारी अब चीन को भी सौंप दी है।
तुर्की से मिली S-400 की जानकारी, चीन से दागी हाइपरसोनिक मिसाइल
इस हमले के साथ ही पाकिस्तान ने भारत के अत्याधुनिक S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी अंधा करने की कोशिश की। पाकिस्तान को इस दिशा में तुर्की से खुफिया सहायता मिली थी, जिसने खुद रूस से यह सिस्टम खरीदा था।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी वायुसेना ने चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल को JF-17 विमान से दागने की कोशिश की, लेकिन यह हमला भी असफल रहा। भारत के आदमपुर एयरबेस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान S-400 प्रणाली पूरी तरह से सुरक्षित और सक्रिय देखी गई, जिससे पाकिस्तान का यह दावा खोखला साबित हुआ।
ड्रोन युद्ध में तुर्की की हार
आपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैकड़ों ड्रोन उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन भारत की जवाबी कार्रवाई में कई तुर्की ड्रोन पायलट मारे गए, जिससे तुर्की को अप्रत्याशित नुकसान हुआ।
अब जबकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री अचानक चीन पहुंचे हैं, यह संकेत है कि इस घटनाक्रम को लेकर पाकिस्तान की रणनीतिक चिंताएं गहरी हो गई हैं। भारत की सैन्य तैयारियों और जवाबी क्षमताओं ने न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि उसके सहयोगी देशों को भी पुनर्विचार पर मजबूर कर दिया है।