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सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने SEZ नियमों में किए बड़े बदलाव
10 हेक्टेयर में बनेगा SEZ | घरेलू बिक्री को मंजूरी | ₹13,100 करोड़ के निवेश को हरी झंडी
भारत सरकार ने 3 जून 2025 को विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zones – SEZ) के नियमों में अहम बदलावों की अधिसूचना जारी की, जिससे सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। इन बदलावों की घोषणा 9 जून 2025 को की गई।
प्रमुख बदलाव क्या हैं?
1. SEZ के लिए ज़मीन की न्यूनतम ज़रूरत घटाई गई
अब सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के लिए SEZ स्थापित करने हेतु सिर्फ 10 हेक्टेयर ज़मीन की आवश्यकता होगी। पहले यह सीमा 50 हेक्टेयर थी। यह बदलाव SEZ नियम, 2006 के नियम 5 में संशोधन के बाद संभव हुआ है।
2. घरेलू बाज़ार में बिक्री की अनुमति
पहले SEZ यूनिट्स केवल निर्यात (Export) के लिए काम करती थीं। अब सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक यूनिट्स को भारत में भी माल बेचने की अनुमति मिल गई है — बशर्ते कि वे आवश्यक टैक्स और शुल्क अदा करें। यह नियम 18 में बदलाव के बाद लागू किया गया है।
3. लीज या बंधक ज़मीन पर भी SEZ की मंजूरी
नियम 7 में बदलाव कर सरकार ने यह छूट दी है कि अगर SEZ की ज़मीन किसी सरकारी संस्था को लीज पर या बंधक रखी गई हो, तो भी मंजूरी मिल सकती है। इससे निवेशकों के लिए ज़मीन का प्रबंधन आसान होगा।
निवेश और नई परियोजनाएं
सरकार ने बदलावों की अधिसूचना के तुरंत बाद दो बड़ी परियोजनाओं को हरी झंडी दी है, जिनमें कुल ₹13,100 करोड़ का निवेश होगा।
1. Micron Semiconductor Technology India (गुजरात)
- स्थान: साणंद, गुजरात
- निवेश: ₹13,000 करोड़
- उद्देश्य: सेमीकंडक्टर निर्माण
2. Hubballi Durable Goods Cluster Pvt. Ltd. (Aequs Group) (कर्नाटक)
- स्थान: धारवाड़, कर्नाटक
- निवेश: ₹100 करोड़
- उद्देश्य: इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स निर्माण
सरकार का उद्देश्य क्या है?
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा:
“सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र में निवेश भारी होता है, यह आयात पर निर्भर होता है और लाभ देने में लंबा समय लेता है। इसलिए, नियमों में ढील देकर अग्रणी निवेशों को आकर्षित किया जा रहा है। इन बदलावों से उच्च तकनीक मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन, सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का विकास और हाई-स्किल्ड नौकरियों का सृजन होगा।”
सरकार के इस कदम से भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का रास्ता साफ़ होगा, जिससे देश तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा। यह नीतिगत बदलाव निवेशकों को आकर्षित करेगा और भारत को ग्लोबल सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में मजबूत बनाएगा।