
रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल एमीर अविवि का कहना — “आयरन डोम पर दबाव है, लेकिन पूरी तरह टूट नहीं गया”
नई दिल्ली:
पिछले आठ दिनों में, इजरायल का प्रतिष्ठित वायु रक्षा प्रणाली “आयरन डोम” ईरान के मिसाइल हमलों की तीव्र ताज़गी में पुरज़ोर परीक्षा से गुज़र रहा है। जैसे-जैसे यह संघर्ष आठवां दिन पूरा कर रहा है, सवाल उठ रहे हैं: क्या यह प्रणाली लंबे समय तक सामना कर पाएगी?
ईरान की नई लहर हमलों की पुष्टि:
गुरुवार को ईरान ने खुलकर स्वीकार किया कि उसने हाइक़ा और तेल अवीव में सैन्य मौक़ों पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की नई लहर छोड़ी है। इस संबंध में तनाव और बढ़ गया है और लोग चिंतित हैं कि कहीं इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली ध्वस्त न हो जाए .
19 जून की मिसाइल लहर और अस्पताल पर हमला:
19 जून को हुए हमलों में चार स्थानों को निशाना बनाया गया, जिसमें सॉरॉका हॉस्पिटल भी शामिल है, और इजरायल ने एयर स्ट्राइक कर जवाब दिया—बंदूक ईरान से जुड़े न्यूक्लियर सुविधाओं को निशाना बनाए गए। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने यह भी कहा कि आयतुल्लाह खुमैनी को भी निशाना बनाने से इंकार नहीं किया जा सकता, जबकि रक्षा मंत्री कात्ज़ ने अस्पताल हमले की जिम्मेदारी सीधे ईरान के सर्वोच्च नेता पर डाली .
“आयरन डोम” की परीक्षाएं:
हमलों के बीच ऐसी फुटेज वायरल हो रही है जिनमें कुछ मिसाइलें हवा में बच निकलती दिखाई दे रही हैं। लेकिन रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल एमीर अविवि, जो इजरायल डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोरम (IDSF) के चेयरमैन भी हैं, मानते हैं कि हालांकि प्रणाली पर दबाव है, पर यह पूरी तरह विफल नहीं हुआ है। उनका कहना है कि:
- लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का खात्मा मुख्यतः “एरो 3” से होता है, जिसकी सफलता दर 90% से ऊपर है।
- “आयरन डोम अकेला नहीं काम करता — यह एक स्तरित, मल्टी-लेयर रक्षा रणनीति का हिस्सा है।”
- उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोई प्रणाली निरापद नहीं होती, और जब कोई मिसाइल बच निकलती है, तो नागरिकों को तुरंत बंकर में जाने की सलाह दी जाती है .
ईरान की बैलिस्टिक क्षमता पर असर:
अविवि ने बताया कि इजरायल ने अब तक ईरान की बैलिस्टिक क्षमताओं को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया है। ईरान जितना भी हमला करने की कोशिश कर रहा था, उसे जारी नहीं रख पाया क्योंकि इजरायल ने दर्जनों लॉन्चर नष्ट कर दिए—अधिकारियों के अनुसार, 40% से अधिक लॉन्चर अभी तक तबाह हो चुके हैं .
क्या प्रणाली डटेगी?
अविवि ने स्पष्ट किया कि “आयरन डोम”, और उससे जुड़ी वायु रक्षा प्रणाली अभी भी भरोसेमंद है। यह एक अकेली प्रणाली नहीं, बल्कि एक व्यापक, स्तरित रणनीति का हिस्सा है, जो विभिन्न प्रकार के खतरों से निपटने में सक्षम है।
अमेरिका की भूमिका:
उधर, व्हाइट हाउस ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगामी दो हफ़्तों के भीतर तय करेंगे कि क्या अमेरिका को इस विवाद में सीधे शामिल होना चाहिए और बातचीत की संभावनाएँ अभी भी खुले हैं .
रिटायर्ड जनरल अविवि की टिप्पणियों से स्पष्ट है कि “आयरन डोम” पर दबाव जरूर है, लेकिन इजरायल की वायु रक्षा – जिसमें “एरो 3”, रडार, बंकर और अन्य उपकरण शामिल हैं – फिलहाल काम कर रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इमरजेंसी सिस्टम अपनी मजबूती बनाए रख पाता है या फिर उसे और भी सुदृढ़ करने की ज़रूरत पड़ीगी।