
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली कैंट इलाके में तैनात राजपुताना राइफल्स के सैनिकों की दशा पर गंभीर चिंता जताते हुए राजधानी के संबंधित विभागों से फुटओवर ब्रिज निर्माण की अंतिम योजना पेश करने को कहा है। सैनिकों को रोजाना अपने बैरकों से परेड ग्राउंड तक मार्च करते वक्त एक गंदे और जलभराव वाले नाले से होकर गुजरना पड़ता है – और ये दृश्य किसी भी लिहाज से सम्मानजनक नहीं है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने लोक निर्माण विभाग (PWD), दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड और ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिया है कि वे आपस में मिलकर एक संयुक्त बैठक करें और जल्द से जल्द ब्रिज निर्माण की प्रक्रिया को अमल में लाएं।
कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि अगर जरूरत पड़ी, तो कैंटोनमेंट बोर्ड सेना की किसी भी संबंधित एजेंसी से सहयोग ले सकता है। साथ ही अदालत ने संबंधित विभागों को यह आदेश दिया कि एक ठोस योजना तैयार की जाए, जिसमें ब्रिज का डिज़ाइन, निर्माण लागत और तय समयसीमा स्पष्ट रूप से दर्ज हो – और इस पूरी योजना की रिपोर्ट अदालत के सामने पेश की जाए।
दिलचस्प बात यह है कि यह मामला कोर्ट ने खुद ही संज्ञान में लिया था। 26 मई को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में छपी एक रिपोर्ट “A smelly trail from barracks to grounds: Regiment’s daily battle” ने इस स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि सैनिकों को रोजाना चार बार एक ऐसे नाले से गुजरना पड़ता है, जो कीचड़युक्त, बदबूदार पानी से भरा होता है और कभी-कभी कमर तक गहरा हो जाता है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जब तक ब्रिज तैयार नहीं हो जाता, तब तक नाले में पानी का जमाव न होने दिया जाए और इसकी नियमित रूप से निगरानी की जाए। अदालत पहले ही कह चुकी है कि सैनिकों को इस तरह की स्थिति में रहना पड़ना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है।
गौरतलब है कि इस ब्रिज प्रोजेक्ट को साल 2000 में ही हरी झंडी मिल चुकी थी, लेकिन अब तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका। अब कोर्ट ने साफ कह दिया है कि इसके निर्माण की पूरी जिम्मेदारी PWD की होगी और उन्हें ही इसका खर्च उठाना होगा।