
मणिपुर में ‘लोकप्रिय सरकार’ की मांग को लेकर 10 विधायकों ने राज्यपाल से की मुलाकात
इंफाल, 28 मई 2025 — मणिपुर में चल रहे नागरिक अवज्ञा आंदोलन के बीच, बुधवार को 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से राजभवन में मुलाकात की और राज्य में एक “लोकप्रिय सरकार” के गठन की मांग की।
इन विधायकों में 8 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से, एक नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) से — जो मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा की अध्यक्षता में है — और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
स्वतंत्र विधायक सपम निशिकांत सिंह ने पत्रकारों से कहा,
“हम सभी एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के विधायक मणिपुर के हित में एक लोकप्रिय सरकार चाहते हैं। सुचारु शासन के लिए हमें जनता का समर्थन चाहिए।”
उन्होंने बताया कि उन्होंने राज्यपाल को एक दस्तावेज सौंपा, जिस पर 22 विधायकों के हस्ताक्षर हैं।
“यह वही दस्तावेज है जो हमने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दिया था। बाकी हस्ताक्षरकर्ता इस समय उपस्थित नहीं हैं, लेकिन वे सभी हमारे साथ हैं।”
भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने कहा कि एनडीए के कुल 44 विधायक सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।
राजभवन की प्रतिक्रिया
राजभवन द्वारा जारी बयान में कहा गया कि विधायकों ने राज्य की कानून व्यवस्था और राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की।
उन्होंने शांति प्रक्रिया शुरू करने, सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और सरकार गठन की प्रक्रिया को तेज करने की मांग की।
केन्द्र सरकार का रुख
हालांकि, भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने इस घटनाक्रम को महत्वहीन बताया। एक पार्टी नेता ने इसे “औपचारिक भेंट” करार दिया और कहा कि निकट भविष्य में सरकार बनना संभव नहीं लगता।
मणिपुर की वर्तमान स्थिति
- मणिपुर में इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है, जिसे 13 फरवरी 2025 को लागू किया गया था।
- राज्य में कुल 60 विधायक हैं। इनमें से 10 विधायक (जिनमें 7 भाजपा से हैं) कूकी-जोमी समुदाय से हैं और 3 मई 2023 को मेइती समुदाय के साथ हुए जातीय संघर्ष के बाद से इंफाल नहीं आए हैं।
बिरेन सिंह की भूमिका
पूर्व मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात की और राज्य में जारी असंतोष को लेकर चर्चा की।
उन्होंने एक पत्र सौंपा जिसमें उनके कार्यकाल के दौरान म्यांमार और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों की पहचान और उनसे संबंधित मुद्दों को हल करने के प्रयासों का विवरण था।
नया विवाद: बस विवाद और नागरिक अवज्ञा आंदोलन
मणिपुर में 20 मई को तब तनाव बढ़ गया जब सुरक्षा बलों ने एक सरकारी बस पर लिखे ‘मणिपुर राज्य परिवहन’ शब्दों को ढकने को मजबूर किया। यह बस इंफाल से पत्रकारों और सूचना अधिकारियों को लेकर नागा-बहुल उखरुल जिले में आयोजित शिरुई लिली महोत्सव में जा रही थी।
इस घटना से नाराज होकर COCOMI (Coordinating Committee on Manipur Integrity) नामक प्रभावशाली मैती संगठन ने 48 घंटे का आम हड़ताल और नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया।
COCOMI ने घटना को मणिपुर की पहचान, नाम, सम्मान और गरिमा पर हमला बताया और राज्यपाल से माफी की मांग की।
संगठन ने मुख्य सचिव पी.के. सिंह, सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, और डीजीपी राजीव सिंह से इस्तीफे की भी मांग की। जब इन मांगों को नहीं माना गया, तो 24 मई से नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया गया।
पृष्ठभूमि: दो वर्षों से चल रही अशांति
- मणिपुर में 2023 से जातीय हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं।
- राज्य अब भी सामाजिक और राजनीतिक रूप से तनाव में है और आम जनजीवन अस्थिर बना हुआ है।