
लखनऊ: राजधानी के पॉश इलाके गोल्फ सिटी में चल रहे एक अंतरराष्ट्रीय अवैध रैकेट का पर्दाफाश तब हुआ जब पुलिस ने ओमैक्स आर-1 ऑर्चिड के फ्लैट नंबर 104 पर छापा मारा। यहां से उज्बेकिस्तान की दो महिलाएं — होलीदा और निलोफर — अवैध रूप से रहती पाई गईं। दोनों को अब देश से वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, यह जानकारी दक्षिण लखनऊ के पुलिस उपायुक्त (DCP) निपुण अग्रवाल ने दी।
इस पूरे मामले के केंद्र में है लोला कायूमोवा, जो उज्बेकिस्तान की नागरिक है और उस पर कई अन्य उज्बेक महिलाओं को भारत लाकर अवैध रूप से बसाने का आरोप है। जांच में सामने आया है कि उसके पास भारतीय पहचान पत्र — जैसे आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस — भी मौजूद थे, जो फर्जी पते के आधार पर बनवाए गए थे। पुलिस के अनुसार, उसका पासपोर्ट सितंबर 2023 में ही समाप्त हो चुका था, फिर भी वह भारत में रह रही थी।
फरार है गिरोह की सरगना, डॉक्टर और एक अन्य सहयोगी भी लापता
जांच में अब यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर कायूमोवा के नाम पर आधिकारिक दस्तावेज कैसे जारी किए गए। पुलिस का कहना है कि उसके दस्तावेजों की जांच अभी जारी है। उसके आधार कार्ड में जन्मतिथि 9 सितंबर 1976 दर्ज है, जबकि ड्राइविंग लाइसेंस हाल ही में 11 जून 2025 को जारी हुआ है। एक तथाकथित “विवाह प्रमाण पत्र” भी सामने आया है, जिसमें उसके पति का नाम जनक प्रताप सिंह बताया गया है — यह नाम भी फिलहाल जांच के घेरे में है।
मामले में दो और अहम नाम सामने आए हैं: डॉ. विवेक गुप्ता और त्रिजिन राज उर्फ अर्जुन राणा। पुलिस के अनुसार, डॉ. गुप्ता का किरदार शक के घेरे में है, और उनके खिलाफ दर्ज FIR में उन्हें नामजद किया गया है। अर्जुन राणा को कायूमोवा का कथित साथी माना जा रहा है।
स्थानीय मदद के बिना नहीं चल सकता ऐसा नेटवर्क: पुलिस
लखनऊ पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) के प्रभारी और केंद्रीय DCP आशीष श्रीवास्तव ने पुष्टि की है कि कायूमोवा, अर्जुन राणा और डॉ. गुप्ता की तलाश की जा रही है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि कैसे कायूमोवा पासपोर्ट समाप्त होने के बाद भी भारत में बनी रही, और क्या इसी तरह से और विदेशी नागरिकों को भी भारत लाया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “इस तरह का रैकेट स्थानीय सहयोग के बिना चल ही नहीं सकता। हम उन सभी लोगों की पहचान कर रहे हैं जो इसमें शामिल हो सकते हैं।”
इस मामले के खुलासे ने राजधानी में चल रही अवैध गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही यह भी साफ हुआ है कि विदेशी नागरिकों को यहां ठहराने और सरकारी दस्तावेज दिलाने में एक पूरा नेटवर्क सक्रिय है, जो अब पुलिस की पकड़ में आने लगा है।