सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह संसद को जानकारी देने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि Operation Mahadev में मारे गए तीनों आतंकी वही हैं जो पहलगाम हमले में शामिल थे
by rimpy singh.

पूरी रात जागे अमित शाह, स्पेशल प्लेन, फॉरेंसिक टेस्टिंग – ऐसे पकड़ी गई पहलगाम के खूनी आतंकियों की पहचान
नई दिल्ली:
26 मासूमों की हत्या करने वाले पहलगाम के दरिंदों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए देश की मशीनरी सोमवार रात पूरी तरह से अलर्ट पर थी। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद पूरी रात जागकर इस पूरे मिशन की निगरानी की। चंडीगढ़ की फॉरेंसिक लैब में वैज्ञानिक रातभर गोलियों का मिलान करते रहे। श्रीनगर से आतंकियों के हथियारों को खास प्लेन से चंडीगढ़ भेजा गया और अहमदाबाद से एक मशीन एयरफोर्स कार्गो से मंगवाई गई।
ऑपरेशन महादेव में ढेर हुए वही आतंकी जिन्होंने पहलगाम में 26 लोगों को मौत के घाट उतारा था — यह पुष्टि करने के लिए इतनी बड़ी कवायद की गई।
शाह ने खुद संभाली कमान, सुबह 5 बजे तक ले रहे थे अपडेट
सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री संसद में कुछ भी कहने से पहले सौ फीसदी पुष्टि चाहते थे। इसीलिए सोमवार रात भर वह फोन और वीडियो कॉल के ज़रिए चंडीगढ़ की फॉरेंसिक लैब से जुड़े रहे। वैज्ञानिक ऑपरेशन महादेव में बरामद हथियारों से फायरिंग कर गोलियों के खोखे निकाल रहे थे और उनका मिलान पहलगाम हमले के बाद मिले खोखों से कर रहे थे।
शाह सुबह 5 बजे तक लगातार संपर्क में रहे और रिपोर्ट मिलने के बाद कुछ घंटे आराम कर संसद पहुंचे।
संसद में शाह बोले: “100% मैच है, कोई शक की गुंजाइश नहीं”
मंगलवार को लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस के दौरान अमित शाह ने कहा,
“मेरे पास बैलेस्टिक रिपोर्ट है। छह वैज्ञानिकों ने वीडियो कॉल पर मुझे पुष्टि दी है कि पहलगाम में चली गोलियां और ऑपरेशन महादेव में मिले हथियारों से चली गोलियां 100% मैच करती हैं।”
ऑपरेशन महादेव: श्रीनगर के पास एनकाउंटर में मारे गए तीन आतंकी
सोमवार को जब संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऑपरेशन सिंदूर पर बोल रहे थे, उसी वक्त श्रीनगर के पास लिडवास में बड़ा एनकाउंटर चल रहा था। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने हफ्तों की बातचीत इंटरसेप्ट करने के बाद आतंकियों के ठिकाने को घेरा और तीन आतंकियों को मार गिराया।
उनके पास से अत्याधुनिक हथियार जैसे असॉल्ट राइफल्स और राइफल ग्रेनेड बरामद हुए। शुरुआत में शक था कि ये वही आतंकी हैं जिन्होंने पहलगाम हमले को अंजाम दिया था, लेकिन सरकार बिना पुख्ता सबूत के कुछ भी घोषित नहीं करना चाहती थी।
पहचाने गए शव, फिर भी सरकार ने मांगा 100% सबूत
स्थानीय लोगों को आतंकियों की मदद करने के आरोप में पहले ही गिरफ्तार किया गया था। उन्हें शव पहचान के लिए बुलाया गया, और उन्होंने पुष्टि की कि यही आतंकी पहलगाम हत्याकांड के दोषी हैं। लेकिन सरकार सिर्फ आंखों की पहचान पर नहीं टिकी — ज़रूरी था वैज्ञानिक सबूत।
हथियार चंडीगढ़ पहुंचे, खोखे हुए मैच – 99% की पुष्टि
ऑपरेशन महादेव के बाद बरामद हथियारों को एक स्पेशल फ्लाइट से चंडीगढ़ लाया गया। अहमदाबाद से एक खास मशीन वायुसेना के जरिए मंगवाई गई।
फॉरेंसिक लैब में हथियारों से फायरिंग की गई और खोखे निकाले गए। इन खोखों का मिलान पहलगाम हमले के बाद बाइसरण वैली से मिले खोखों से किया गया। सूत्रों के मुताबिक, मैचिंग 99% तक सटीक पाई गई।
इस दौरान गृह मंत्री शाह लगातार वैज्ञानिकों से संपर्क में रहे और फाइनल रिपोर्ट आते ही खुद उसकी समीक्षा की।
पहलगाम हमले के बाद कभी नहीं चले थे ये हथियार
गृह मंत्री को यह भी बताया गया कि जिन हथियारों से फायरिंग की गई — एक M9 और दो AK-47 — वो आखिरी बार 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में ही इस्तेमाल हुए थे। उसके बाद तीनों आतंकी — सुलेमान, अफगानी और जिब्रान — छिपते रहे। ये तीनों पाकिस्तानी नागरिक थे और भारत की सुरक्षा रणनीति के चलते सीमा पार नहीं कर पाए।
शाह की रणनीति: पाकिस्तान वापसी नामुमकिन बनाओ
सूत्रों के मुताबिक, हमले के कुछ घंटे बाद ही शाह कश्मीर पहुंचे थे और वहीं से उन्होंने सुरक्षाबलों को सख्त निर्देश दिए — “ये आतंकी जिंदा पाकिस्तान न लौटने पाएं।”
सुरक्षा एजेंसियों ने एक 8 किलोमीटर लंबा रास्ता चिन्हित किया जिसे आतंकी पार कर सकते थे। वहां सुरक्षा कड़ी की गई। सुरंगों का पता लगाया गया जिनका इस्तेमाल घुसपैठ के लिए होता था और उन्हें खुदवा कर पानी भरवा दिया गया।
आखिरकार यही बाढ़ बनी आतंकियों की मौत का जाल — और ऑपरेशन महादेव के ज़रिए उन्हें ढूंढ़कर खत्म कर दिया गया।