
इज़रायल और ईरान के बीच छिड़ा युद्ध अब सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है और हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच हो रही भारी गोलाबारी और हमलों में अब तक दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है, जबकि अमेरिका अब तक अपनी स्थिति साफ नहीं कर पाया है।
इस संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब इज़रायल ने ‘राइजिंग लायन’ नामक एक गुप्त सैन्य अभियान के तहत ईरान के कई अहम ठिकानों पर हवाई हमले किए। इन हमलों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों, सैन्य अधिकारियों और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया गया। इज़रायल का कहना है कि इन कार्रवाइयों का मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था, जिसे वह अपने अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा मानता है।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इज़रायल के कई शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू कर दिए। इन हमलों में सैन्य ठिकानों के साथ-साथ नागरिक इलाकों को भी निशाना बनाया गया। एक ईरानी मिसाइल द्वारा एक इज़रायली अस्पताल पर हमला होने की खबर ने माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है।
इस हमले के बाद इज़रायल की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। इज़रायली नेतृत्व ने चेतावनी दी है कि अगर नागरिकों पर हमले जारी रहे, तो ईरान के सर्वोच्च नेता को भी निशाना बनाया जा सकता है।
अब तक सामने आए आंकड़ों के अनुसार, इज़रायली हमलों में ईरान में 240 से अधिक लोगों की जान गई है, जिनमें करीब 70 महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। वहीं, ईरान के हमलों में इज़रायल में कम से कम 24 लोगों की मौत हुई है।
दुनियाभर में इस युद्ध को लेकर चिंता बढ़ रही है, लेकिन अमेरिका अब तक इस पूरे मामले पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपना पाया है, जिससे अनिश्चितता और भी बढ़ गई है।
जैसे-जैसे यह संघर्ष आगे बढ़ रहा है, एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध का खतरा गहराता जा रहा है और दोनों देशों के बीच तनाव कम होता नहीं दिख रहा।