
नई दिल्ली:
देश की रक्षा में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) का एक जवान पाकिस्तान का जासूस बन गया। नाम है – मोतीराम जाट। एनआईए की जांच में जो खुलासे सामने आए हैं, वे हैरान कर देने वाले हैं। पता चला है कि मोतीराम पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान को भारतीय सैन्य गतिविधियों की खुफिया जानकारी दे रहा था। उससे पूछताछ में यह भी सामने आया है कि वह 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले से छह दिन पहले ही उस इलाके से ट्रांसफर हुआ था।
छह दिन पहले हुआ ट्रांसफर, हमले में मारे गए थे 28 पर्यटक
एनआईए की प्रारंभिक जांच के अनुसार, मोतीराम जाट CRPF की 116वीं बटालियन में पहलगाम में तैनात था। हमले से ठीक छह दिन पहले उसका ट्रांसफर हुआ था। यह आतंकी हमला 22 अप्रैल को हुआ था, जिसमें 28 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, आतंकियों ने पीड़ितों की धर्म पूछकर हत्या की थी, जिनमें अधिकांश हिंदू समुदाय से थे। इस जघन्य घटना के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश फैल गया था।
दो साल से पाकिस्तान को दे रहा था खुफिया जानकारी
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) द्वारा की गई पूछताछ में सामने आया है कि मोतीराम जाट साल 2023 से ही पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के संपर्क में था। वह पैसों के बदले देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां लीक कर रहा था। इसमें सैन्य ऑपरेशनों की रणनीतियां, मूवमेंट डिटेल्स और संवेदनशील ठिकानों की लोकेशन शामिल थीं।
सूत्रों के अनुसार, एनआईए को संदेह है कि ये जानकारियां पहलगाम हमले में आतंकियों की सहायता के लिए प्रयोग की गईं। इस संवेदनशील मामले में अब तक की जांच से स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने भारतीय सुरक्षा तंत्र को भीतर से कमजोर करने की साजिश की थी।
सोशल मीडिया गतिविधियों से हुआ शक, बर्खास्त कर गिरफ्तार किया गया
CRPF की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि मोतीराम की सोशल मीडिया पर संदिग्ध गतिविधियों की वजह से उस पर एजेंसियों की नजर पड़ी। निगरानी के बाद जब पर्याप्त सबूत जुटा लिए गए, तो उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया गया।
सीआरपीएफ ने उसे 21 मई से सेवा से बर्खास्त कर दिया और उसे एनआईए के हवाले कर दिया गया है। इसके बाद दिल्ली की विशेष अदालत में पेश कर 6 जून तक की हिरासत में भेजा गया है।
अब तक किन पाक एजेंटों से था संपर्क?
एनआईए अधिकारी लगातार उससे पूछताछ कर रहे हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि अब तक किन पाकिस्तानी एजेंटों से उसका संपर्क था, उसने कौन-कौन सी जानकारियां लीक कीं, और कैसे वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों का मोहरा बना।
एनआईए इस बात की भी जांच कर रही है कि उससे संपर्क किस माध्यम से किया गया और क्या इस साजिश में कोई अन्य व्यक्ति भी शामिल था।
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर सख्त रुख जरूरी
इस मामले ने फिर से यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान भारत के सुरक्षा संस्थानों को भीतर से कमजोर करने की साजिशों में लगातार लगा हुआ है। यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि आंतरिक सुरक्षा के लिए भीतर के संभावित गद्दारों की पहचान उतनी ही जरूरी है जितनी कि बाहरी खतरों से निपटना।
CRPF जवान मोतीराम जाट की गिरफ्तारी उन सभी के लिए सबक है जो वर्दी पहनकर देशभक्ति की शपथ तो लेते हैं लेकिन निजी लालच में देश को गिरवी रखने को भी तैयार हो जाते हैं।
(नोट: यह रिपोर्ट विभिन्न आधिकारिक सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से तैयार की गई है। जांच अभी जारी है और आने वाले समय में और भी कई अहम खुलासे हो सकते हैं।)