
नूंह (हरियाणा):
लगभग दो दशक की मांग और प्रशासनिक उदासीनता के बाद आखिरकार हरियाणा सरकार ने नूंह जिले में एक नई माइनिंग यूनिट की स्थापना कर दी है। यह कदम न केवल स्थानीय लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है, बल्कि अवैध खनन पर लगाम कसने की दिशा में एक बड़ा बदलाव भी लाता है।
इस विशेष इकाई को राज्य के खान एवं भूविज्ञान विभाग के तहत काम में लाया गया है। नया माइनिंग ऑफिस एक सहायक माइनिंग इंजीनियर, चार अतिरिक्त माइनिंग गार्ड और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित कुल छह कर्मचारियों से लैस रहेगा। ये अधिकारी गुरुग्राम, रेवाड़ी और भिवानी जिलों से ट्रांसफर किए गए हैं ताकि नूंह में निगरानी तंत्र को मजबूत किया जा सके। अभी तक पूरे जिले में केवल तीन माइनिंग गार्ड ही तैनात थे।
यह पहल ऐसे वक्त पर आई है जब अरावली और राजस्थान सीमा क्षेत्र में अवैध पत्थर खनन को लेकर प्रशासन पर कार्रवाई का भारी दबाव बना हुआ था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2009 से अरावली में खनन पर रोक के बावजूद यहां चोरी-छिपे खनन और पत्थर तस्करी होती रही है।
तीन महीने में दर्ज हुए 31 केस, ₹14.3 लाख का जुर्माना
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बीते तीन महीनों में नूंह जिले में अवैध खनन से जुड़े 31 एफआईआर दर्ज की गईं और ₹14.3 लाख का जुर्माना वसूला गया। 59 ट्रक जब्त किए गए, जिनमें से कई पर ओवरलोडिंग और अवैध सामग्री भंडारण के लिए भी अतिरिक्त जुर्माने लगाए गए हैं।
इसके अलावा, वन विभाग की टीमें अब उन अवैध रास्तों को खत्म करने में जुटी हैं जो अरावली की पहाड़ियों में खनन सामग्री ले जाने के लिए जबरन बनाए गए थे। इन रास्तों ने न केवल पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि जंगल की जमीन को भी नुकसान पहुंचाया।
जिला उपायुक्त का बयान:
नूंह के डिप्टी कमिश्नर विश्राम कुमार मीणा ने इस फैसले को “लंबे समय से प्रतीक्षित और बेहद जरूरी” बताया। उन्होंने कहा, “अरावली में अवैध खनन पर काबू पाने के लिए संसाधनों की भारी कमी रही है। नई माइनिंग यूनिट से हमारी निगरानी और कार्रवाई की क्षमता अब कई गुना बेहतर होगी।”
पर्यावरण को बचाने की दिशा में मजबूत कदम
विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों का कहना है कि अरावली क्षेत्र, जो दक्षिण हरियाणा को रेगिस्तान बनने से रोकता है, लंबे समय से खनन माफिया के निशाने पर रहा है। यह क्षेत्र न केवल जैव विविधता का घर है बल्कि यहां का भूजल भंडार और हरित आवरण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सरकारी अधिकारी मानते हैं कि यह नई पहल एक मजबूत राजनीतिक और प्रशासनिक संकल्प को दर्शाती है – अरावली की रक्षा करना और अवैध खनन तंत्र को जड़ से खत्म करना। आने वाले हफ्तों में और भी कड़ी कार्रवाई देखने को मिल सकती है, जिसमें पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।